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Showing posts from July, 2019

कारगिल युद्ध के रणबांकुरों की विजय गाथा। Victory saga of the Ranbankurs of Kargil war.

    बीस साल पहले हुए कारगिल युद्ध में देश ने ना केवल अपने वीर सपूत खोए बल्कि मां-बाप ने अपना बेटा, बहन ने भाई, पत्नी ने पति और बच्चों ने अपने पिता को गंवाया था। वर्ष 1999 में जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में घुसपैठ करा पाकिस्तान ने भारत की पीठ में एक और छुरा घोप दिया था। दो महीनें तक चला कारगिल युद्ध 3 मई, 1999 को शुरू हुआ और खत्म 26 जुलाई, 1999 को समाप्त हो गया था। भारत को इस जीत की भारी कीमत चुकानी पड़ी थी। आधिकारिक तौर पर इसमें भारत के 527 सैनिक शहीद हुए जबकि पाकिस्तान के करीब 453 सैनिक मारे गए। कारगिल युद्ध में भारत का हर एक सैनिक पाकिस्तानियों के लिए काल बन गया था। दुर्गम चोटियों पर बैठे घुसपैठियों को भारतीय सैनिकों को निशाना बनाना आसान था। हमारे सैनिकों के शौर्य के आगे वे बौने साबित हुए। प्रत्येक भारतीय सैनिक का जीत में अहम योगदान था, लेकिन कारगिल विजय दिवस के अवसर पर हम उन सात भारत के रणबांकुरों की स्मृति अपने आप लिखने की प्रेरणा दी, जिन्होंने कारगिल जीत में अहम भूमिका निभाई। कैप्टन विक्रम बत्रा "ये दिल मांगें मोर" कैप्टन विक्रम बत्रा का कारगिल मे

पेड़ लगाइए, भविष्य बचाइए Plant trees, save the future

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22  करोड़ पेड़ लगाने के लिए 22 करोड़ जनता का महाभियान भारत के उत्तर प्रदेश राज्य की सरकार ने 9 अगस्त 2019 को एक अभियान चलाने का निर्णय लिया है। यह अभियान प्रदेश सरकार भारत छोड़़ो आंदोलन की 77वी वर्ष गाँठ के उपलक्ष्य में आयोजित किया जा रहा है। The government of Uttar Pradesh state of India has decided to run a campaign on 9 August 2019. This campaign is being organized to commemorate the 77th anniversary of the Quit India Movement. इस पौधारोपण अभियान को इलेक्शन की तरह राज्य सरकार कराएंगी, जिसका आदेश राज्य सरकार के मुख्य सचिव ने इस अभियान से सम्बंधित  अपने अधिकारियों को दे दिया हैं। The state government will conduct this plantation campaign as an election, whose order has been given by the Chief Secretary of the state government to his officials related to this campaign. राज्य सरकार के इस अभियान में प्रदेश वासियों को भी बढ़ चढ़ कर अपना योगदान देना होगा, क्योंकि ये अभियान आने वाली पीढ़ियों के लिए तैयार किया जा रहा है। The people of the state will also have to contribute heavily

चंद्रयान-2, भारत के लिए, एतिहासिक क्षण। Chandrayaan-2, Historical Moments for India.

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    चंद्रयान-2 भारत के लिए, ऐतिहासिक क्षण।   भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी "भारतीय वैज्ञानिकों शुभ कामनाएं देते हुए कहा कि, श्रीहरिकोटा से चन्द्रयान-2 का ऐतिहासिक प्रक्षेपण हर भारतीय के लिए एक गर्व का क्षण है। भारत के स्वदेशी अंतरिक्ष कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए के सभी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई। मेरी कामना है कि टेक्नॉलॉजी के नए-नए क्षेत्रों में ‘इसरो’, नित नई ऊंचाइयों तक पहुंचे"। भारत के प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि "भारत के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण है। चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण से आज पूरा देश गौरवान्वित है। मैंने थोड़ी देर पहले ही इसके लॉन्च में निरंतर तन-मन से जुटे रहे वैज्ञानिकों से बात की और उन्हें पूरे देश की ओर से बधाई दी"।    चन्द्रयान-2 अभियान 22 जुलाई 2019 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरीकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया, इससे पहले 15 जुलाई को चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग करने वाला था, लेकिन क्रॉयोजेनिक इंजन में लीकेज के कारण इसे 22 जुलाई तक के लिए रोक दिया गया था। अभियान का सबसे पह

भारत वर्ष की उन्नति कैसे हो। How should India's year progress?

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हिंदी साहित्य के अग्रदूत व जनक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी के द्वारा दिसबंर 1884 में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के ददरी मेले के अवसर पर आयोजित आर्य देशों उपकारणी सभा में भाषण दिया था, जो आज के वर्तमान समय के 135 वर्ष पहले दिया गया भाषण कितना प्रासंगिक और महत्वपूर्ण हैं। भारतवर्ष की उन्नति किस प्रकार से हो सकती हैं। भारत के विकास में कौन-कौन से अवरोध हैं, और उसमें किस प्रकार से सुधारकर उन अवरोधों को जड़ से समाप्त किया जा सकता हैं। भारतेन्दुजी ने अपने भाषण में भारतीयों की तुलना बिना इंजन के रेलगाड़ी से किया है और बताया है कि भारतीय जन-मानस को खींचना पड़ेगा क्योंकि जिस प्रकार हनुमानजी जी को उनका बल याद दिलाया कि "का चुप साधि रहा बलवाना", हनुमानजी को अपने बल का अनुभव होता हैं और वो समुद्र लांघ सीता माता का पता लगा कर और लंका को जलाकर वापस लौट आए। ठीक उसी प्रकार से भारत के लोगों को उनका बल याद करा दिया जाये तो देखिए ये लोग क्या नहीं कर सकते हैं। भारतेन्दु जी आगे कहते है कि भारतीय जनता को उसका बल कौन याद दिलाएं? क्यों कि राजा महाराज और ब्राह्मण को और सरकारी हाकिमों को अ

हीरा Diamond

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        हीरा सदियों से राजसी वैभव और विलासिता के प्रतीक रहे हैं भारत हजारों साल से इनके कारोबार का केंद्र रहा है, रोमन लोग इन्हें ‘भगवान के आंसू’ कहते थे। 1700 के दशक के बाद से भारत विश्व का प्रमुख हीरा उत्पादक देश नहीं है, इसके बावजूद भारत में हीरे का खनन जारी है, 2013 में, भारत की बड़ी औद्योगिक खदानों और कई छोटी खदानों को मिलाकर केवल 37,515 कैरेट हीरे खनन किए गए थे जो उस वर्ष पूरे विश्व के उत्पादन 132.9 मिलियन कैरेट के एक प्रतिशत के दसवें हिस्से से भी कम थाl बहुत से लोग कहते हैं कि विश्व के पहले हीरे की खोज आज से 4000 साल पहले भारत के गोलकोंडा क्षेत्र (आधुनिक हैदराबाद)) में नदी के किनारे की चमकदार रेत में हुई थी l पश्चिमी भारत के औद्योगिक शहर सूरत में दुनिया के 92% हीरों को काटने और पॉलिश करने का काम किया जाता है और इस काम के कारण दुनिया में करीब 500,000 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है l         हीरा किस चीज का बना होता है ? हीरा एक पारदर्शी रत्न होता है। यह रासायनिक रूप से कार्बन का शुद्धतम रूप है इसमें बिल्कुल मिलावट नहीं होती है, यदि हीरे को ओवन में 763 डिग्री सेल्सियस