कारगिल युद्ध के रणबांकुरों की विजय गाथा। Victory saga of the Ranbankurs of Kargil war.
बीस साल पहले हुए कारगिल युद्ध में देश ने ना केवल अपने वीर सपूत खोए बल्कि मां-बाप ने अपना बेटा, बहन ने भाई, पत्नी ने पति और बच्चों ने अपने पिता को गंवाया था। वर्ष 1999 में जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में घुसपैठ करा पाकिस्तान ने भारत की पीठ में एक और छुरा घोप दिया था। दो महीनें तक चला कारगिल युद्ध 3 मई, 1999 को शुरू हुआ और खत्म 26 जुलाई, 1999 को समाप्त हो गया था। भारत को इस जीत की भारी कीमत चुकानी पड़ी थी। आधिकारिक तौर पर इसमें भारत के 527 सैनिक शहीद हुए जबकि पाकिस्तान के करीब 453 सैनिक मारे गए। कारगिल युद्ध में भारत का हर एक सैनिक पाकिस्तानियों के लिए काल बन गया था। दुर्गम चोटियों पर बैठे घुसपैठियों को भारतीय सैनिकों को निशाना बनाना आसान था। हमारे सैनिकों के शौर्य के आगे वे बौने साबित हुए। प्रत्येक भारतीय सैनिक का जीत में अहम योगदान था, लेकिन कारगिल विजय दिवस के अवसर पर हम उन सात भारत के रणबांकुरों की स्मृति अपने आप लिखने की प्रेरणा दी, जिन्होंने कारगिल जीत में अहम भूमिका निभाई। कैप्टन विक्रम बत्रा "ये दिल मांगें मोर" कैप्टन विक्रम बत्रा का कारगिल मे