चंद्रयान-2, भारत के लिए, एतिहासिक क्षण। Chandrayaan-2, Historical Moments for India.
चंद्रयान-2 भारत के लिए, ऐतिहासिक क्षण।
भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी "भारतीय वैज्ञानिकों शुभ कामनाएं देते हुए कहा कि, श्रीहरिकोटा से चन्द्रयान-2 का ऐतिहासिक प्रक्षेपण हर भारतीय के लिए एक गर्व का क्षण है। भारत के स्वदेशी अंतरिक्ष कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए के सभी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई। मेरी कामना है कि टेक्नॉलॉजी के नए-नए क्षेत्रों में ‘इसरो’, नित नई ऊंचाइयों तक पहुंचे"।
भारत के प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि "भारत के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण है। चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण से आज पूरा देश गौरवान्वित है। मैंने थोड़ी देर पहले ही इसके लॉन्च में निरंतर तन-मन से जुटे रहे वैज्ञानिकों से बात की और उन्हें पूरे देश की ओर से बधाई दी"।
चन्द्रयान-2 अभियान 22 जुलाई 2019 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरीकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया, इससे पहले 15 जुलाई को चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग करने वाला था, लेकिन क्रॉयोजेनिक इंजन में लीकेज के कारण इसे 22 जुलाई तक के लिए रोक दिया गया था। अभियान का सबसे पहला उद्देश्य चांद की सतह पर सुरक्षित उतरना और फिर सतह पर रोबोट रोवर संचालित करना है।
इसका मुख्य उद्देश्य चांद की सतह का नक्शा तैयार करना, खनिजों की मौजूदगी का पता लगाना, चंद्रमा के बाहरी वातावरण को स्कैन करना और किसी न किसी रूप में पानी की उपस्थिति का पता लगाना है। इस अभियान एक और उद्देश्य चांद को लेकर हमारी समझ को और बेहतर करना और मानवता को लाभान्वित करने वाली खोज करना है।
इस तरह भारत पूर्व सोवियत संघ, संयुक्त राज्य अमरीका और चीन के बाद यहां उतरने वाला और सतह पर रहकर चांद की कक्षा, सतह और वातावरण में विभिन्न प्रयोगों का संचालन करने वाला चौथा राष्ट्र बन जाएगा।
चंद्रयान 1 की खोजों को आगे बढ़ाने के लिए चंद्रयान-2 को भेजा गया है। चंद्रयान-1 द्वारा खोजे गए पानी के अणुओं के साक्ष्यों के बाद आगे चांद की सतह पर, सतह के नीचे और बाहरी वातावरण में पानी के अणुओं के वितरण की सीमा का अध्ययन करने की जरूरत है. इस अभियान में ऑर्बिटर चांद के आसपास चक्कर लगाएगा, विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी धुव्र के पास सुरक्षित और नियंत्रित लैंडिंग करेगा और प्रज्ञान चांद की सतह पर जाकर प्रयोग करेगा।
भारत ने इससे पहले चंद्रयान-1 साल 2008 में लॉन्च किया था। इस अभियान में चाँद पर पानी की खोज में निकला था. भारत ने साल 1960 के दशक में अंतरिक्ष कार्यक्रम शुरू किया था। पृथ्वी से चाँद की औसत दूरी 3, 84, 000 किलोमीटर है. चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम चँद्रमा पर 48वें दिन उतरेगा। और यह यात्रा आज से शुरू हो गई है।
इस अभियान पर भेजे गये स्पेसक्राफ्ट तीन हिस्से में एक ऑर्बिटर, एक लैंडर का नाम (विक्रम रखा गया है, जो भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक कहलाने वाले विक्रम साराभाई के नाम पर है) और एक छह पहियों वाला रोबोट रोवर हैं। इसरो ने ये सभी स्पेसक्राफ्ट के हिस्से बनाए हैं।
इस अभियान के लिए भारत के सबसे शक्तिशाली 640 टन के रॉकेट जीएसएलवी एमके-3 का इस्तेमाल किया गया. यह 3890 किलो के चंद्रयान-2 को लेकर गया. स्पेसक्राफ्ट 13 भारतीय और एक नासा के वैज्ञानिक उपकरण लेकर गया है।इनमें से तीन उपकरण आठ ऑर्बिटर में, तीन लैंडर में और दो रोवर में हैं।
Nice.
ReplyDeleteVery good Bhai.
ReplyDeleteVery nice yaar.
ReplyDeleteJai ho.
ReplyDeleteभारत माता की जय हो।
ReplyDeleteBharat mata ki jai.
ReplyDeleteVery good .
ReplyDeleteHai ho.
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ReplyDeleteभारत माता की जय।
ReplyDeleteजय हो।
ReplyDeleteJai hind.
ReplyDeleteJai hind.
ReplyDeleteक्या बात है।
ReplyDeleteBharat mata ki Jai.
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ReplyDeleteWel done.
ReplyDeleteGood.
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ReplyDeleteGreat.
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