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Showing posts from October, 2019

महान वैज्ञानिक आर्यभट। Aryabhata, the great scientist.

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आर्यभट यह लेख भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ0 ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, एक वैज्ञानिक के रूप में उपग्रह प्रक्षेपणयान और रणनीतिक मिसाइलो के स्वदेशी विकास के वास्तुकार रहे हैं। एस.एल.वी-3, अग्नि और पृथ्वी, उनकी नेतृत्व के कारण भारत रक्षा और वायु आकाश प्रणालियों में आत्मनिर्भर बन सका। भारत के राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान देश भर के आठ लाख से अधिक छात्रों से भेंट कर उन्होंने महाशक्ति भारत के स्वप्न को रचनात्मक कार्यों द्वारा साकार करने का आह्वान किया। This article Dr. Abdul Kalam, as a scientist has been the architect of indigenous development of satellite launch and strategic missiles. SLV-3, Agni and Prithvi due to his leadership India became self-sufficient in defense and air-sky systems. During his tenure as the President of India, he met more than eight lakh students across the country and called for the realization of the dream of superpower India through creative works. अरुण कुमार तिवारी जी बायो मेडिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर के साथ राष्ट्रपति भवन के विशाल वट व

प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद जी और उनके मित्र। First President Rajendra Prasad ji and his friends.

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भारत गण राज्य के भारत रत्न प्रथम राष्ट्रपति डॉ0 राजेंद्र प्रसाद जी अपनी संस्कृति, परंपरा और मान्यताओं पर पूर्ण रूप से विश्वास रखते और उसका पालन भी किया करते थे। एक दिन उनके मित्र ने अनायास ही उनसे पूछा कि" धर्म के नाम पर अलग-अलग मान्यता क्यों हैं? और आपको धर्म का खंडन करना चाहिए जबकि आप इसके समर्थक दिखाई पड़ते हैं।" Bharat Ratna First President of the State of India, Dr. Rajendra Prasad ji believed in and followed his culture, tradition and beliefs completely.Oneday his friend spontaneously asked him "Why are there different beliefs in the name of religion? And you should refute religion when you see its supporters." राजेंद्र बाबू मुस्कराये और बोले कि " एक व्यक्ति कुदाल लेकर सड़क खोदने लगा, किसी ने उसे पूछा कि तुम सड़क क्यों खोद रहे हो? सड़क खोदते हुए व्यक्ति ने कहा कि, " इस सड़क पर रोज दुर्घटना हो ती हैं इसलिए मैं इस सड़क को ही खोद दूँगा ना रहेगा और ना होगी दुर्घटनाए।" Rajendra Babu smiled and said that "One man started digging the road w

महात्मा गांधी की 150वी जयंती। 150th birth anniversary of Mahatma Gandhi.

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सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह के संसाधन के प्रयोग से भारतीय राजनीतिक मंच पर 1919 से 1948 तक एक सर्वमान व्यक्ति  के रूप में स्थापित रहे। गाँधी जी के इस अवधि को गाँधी युग के नाम से जाना जाता हैं। जे0 एच0 होम्स ने गाँधी जी के विषय में कहा है कि "गाँधी जी की गणना उन महान व्यक्तियो से की जा सकती हैं, वे अल्फ्रेड, वाशिंगटन तथा लैफ्ट की तरह एक महान राष्ट्र निर्माता थे। उन्होंने बिलबर फोर्स, गैरिसन और लिंकन के समान भारत को दासता से मुक्त कराने का महत्वपूर्ण कार्य किया, वे सेंट फ्रांसिस और टालस्टाय की अहिंसा के उपदेशक और बुद्ध, ईसा तथा जोरास्ट्र की तरह आध्यात्मिक नेता थे। From 1919 to 1948 he was established as a common man on the Indian political platform using the resources of truth, non-violence and satyagraha. This period of Gandhiji is known as Gandhi era. J.H. Holmes has said about Gandhiji that "Gandhiji can be counted from those great men, he was a great nation builder like Alfred, Washington and Laft. He was like India like Bilber Force, Garrison and Lincoln  He was th

प्रकृति आराधना। Nature worship.

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पृथ्वी पर जीवन की कल्पना प्रकृति के कारण ही संभव हुआ हैं। प्रकृति न होती तो, क्या मनुष्य रहते? क्या जीव-जंतुओं होते? क्या वनस्पतियों रहती? आप मनुष्य होने के कारण जितने भी प्रश्न खड़े कर दीजिए? जिस प्रकार प्रकृति के साथ मनुष्य खेल रहा हैं, उसका परिणाम भी दिखाई देने लगा हैं। चारों-ओर देखने मात्र से मन दुखी हो जाता हैं कि कहीं जलमग्न, तो कहीं सूखा, भूकंप, भूस्खलन, वन होता हैं! बस ये कल्पना ही कर सकते हैं। The imagery of life on earth has been possible only due to nature.  If nature were not there, would humans live?  What would be animals? Does the flora live? Being a man, raise all the questions? The way human beings are playing with nature, the results are also visible.  Just looking around, the mind gets sad that somewhere is submerged, somewhere there is drought, earthquake, landslide, forest!  One can only imagine this. प्रकृति की कोख से ही जीवन संभव हैं। जीवन के कई रूप में चाहे वह फूल-पत्तियां हो, वनस्पति, जीव-जंतु, या फिर समझदार मनुष्य हो। सभी प्राणियों की जीवनदात्री मा