महात्मा गांधी की 150वी जयंती। 150th birth anniversary of Mahatma Gandhi.




सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह के संसाधन के प्रयोग से भारतीय राजनीतिक मंच पर 1919 से 1948 तक एक सर्वमान व्यक्ति  के रूप में स्थापित रहे। गाँधी जी के इस अवधि को गाँधी युग के नाम से जाना जाता हैं। जे0 एच0 होम्स ने गाँधी जी के विषय में कहा है कि "गाँधी जी की गणना उन महान व्यक्तियो से की जा सकती हैं, वे अल्फ्रेड, वाशिंगटन तथा लैफ्ट की तरह एक महान राष्ट्र निर्माता थे। उन्होंने बिलबर फोर्स, गैरिसन और लिंकन के समान भारत को दासता से मुक्त कराने का महत्वपूर्ण कार्य किया, वे सेंट फ्रांसिस और टालस्टाय की अहिंसा के उपदेशक और बुद्ध, ईसा तथा जोरास्ट्र की तरह आध्यात्मिक नेता थे।
From 1919 to 1948 he was established as a common man on the Indian political platform using the resources of truth, non-violence and satyagraha. This period of Gandhiji is known as Gandhi era. J.H. Holmes has said about Gandhiji that "Gandhiji can be counted from those great men, he was a great nation builder like Alfred, Washington and Laft. He was like India like Bilber Force, Garrison and Lincoln  He was the preacher of the non-violence of St. Francis and Tolstoy and spiritual leaders like Buddha, Jesus and Zoroastra.

2 अक्टूबर 1969 को पोरबन्दर नामक स्थान पर जन्म लेने वाले गाँधी जी का पूरा नाम मोहन दास करमचन्द गाँधी था। 1887 में मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए, पढ़ाई पूरी कर 1891 में भारत आए।
Gandhiji, born on 2 October 1969 at a place called Porbandar, had the full name of Mohan Das Karamchand Gandhi. After passing the matriculation examination in 1887, he went to England to study as a barrister, completing studies and came to India in 1891.

कुछ दिन  राजकोट और बम्बई में वकालत करने के पश्चात एक मुकदमे के पैरवी के लिए 1893 में साउथ अफ्रीका गए। अपने बीस वर्ष के आवास के दौरान उनके साथ हुए ट्रेन के कंपार्टमेंट
से अंग्रेजों द्वारा बाहर फेंक जाने और रंगभेद के खिलाफ लड़ाई जारी रखी। उन्होंने नेटाल में भारतीय कांग्रेस की स्थापना की। गाँधी जी के प्रयासो से ही वहाँ की गोरी सरकार ने भारतीयों के खिलाफ बनाये  काले कानून को 1914 में समाप्त कर दिया।
1915 में गाँधी जी भारत वापस आ गए।
After practicing in Rajkot and Bombay for a few days, he went to South Africa in 1893 to plead a case. Train compartments with him during his twenty years of residence From being thrown out by the British and the fight against apartheid continued. He founded the Indian Congress in Natal. It was through Gandhi's efforts that the white government there ended the black law made against Indians in 1914. Gandhiji returned to India in 1915.

गुजरात प्रान्त के अहमदाबाद जिले में साबरमती नदी के किनारे साबरमती आश्रम की स्थापना की। गाँधी जी ने गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक गुरु मानकर उन्हीं के निर्देशन पर भारतीय राजनीति का अध्ययन प्रारम्भ किया।
Established the Sabarmati Ashram on the banks of the Sabarmati river in Ahmedabad district of Gujarat province. Gandhiji considered Gopal Krishna Gokhale as his political mentor and started studying Indian politics on his direction.

1917 में चम्पारण सत्याग्रह के लिए विहार के चम्पारण जिले के नील की खेती करने वाले किसानों पर यूरोपीय मालिकों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों के खिलाफ सफल आंदोलन चलाया चलाया। इस आंदोलन में मजरूह हक़, आचार्य कृपलानी, और महादेव देसाई ने किया। इन्हीं दिनों रवीन्द्र नाथ टैगोर ने गाँधी जी को "महात्मा" की संज्ञा दी। 1918 में खेड़ा में "कर नहीं दो" आंदोलन चलाया, जिससे कर की दर कम कराने में सफलता प्राप्त हुई। अहमदाबाद के मिल मजदूरों के वेतन वृद्धि के लिए आमरण अनशन पर बैठ गए जिस कारण  चार दिन में ही सरकार मजदूरों की मांग मानने के लिए बाध्य हो गई।
In 1917, for the Champaran Satyagraha, a successful movement was carried out against the atrocities committed by the European owners on indigo cultivators of the Champaran district of Vihar. Majrooh Haq, Acharya Kripalani, and Mahadev Desai performed in this movement.  These days, Rabindra Nath Tagore called Gandhiji "Mahatma".  In 1918, Kheda launched a "tax not two" movement, which succeeded in reducing the tax rate. The mill workers of Ahmedabad sat on a fast unto death for the wage increase, due to which the government was compelled to accept the demand of the laborers within four days.

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार को अभूतपूर्व सहायता की, जिस कारण सरकार ने "कैसर-ए-हिन्द" से सम्मानित किया लेकिन शीघ्र ही गाँधी जी विदेशी सरकार से निराश होकर सरकार के सबसे बड़े असहयोगी बन गए। 1919 में खिलाफ़त आंदोलन का नेतृत्व किया और अंग्रेजो को शैतानी लोग कहा, साथ ही साथ 1920 से 1922 तक असहयोग आंदोलन चलाया।
During the First World War, Gandhiji gave unprecedented assistance to the British government, due to which the government awarded "Kaiser-e-Hind" but soon after becoming disappointed with the foreign government, Gandhiji became the biggest non-cooperative of the government.  In 1919 he led the Khilafat movement and called the British as devilish people, as well as the Non-cooperation movement from 1920 to 1922.

1920 में ही यंग इंडिया और नवजीवन समाचार पत्रों की स्थापना की। 1924 में  बेलगाँव में हुए कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता की। 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन के अंतर्गत 6 अप्रैल 1930 को 78 समर्थकों के साथ नमक कानून तोड़ने के लिए डंडी समुद्र तट के लिए यात्रा आरम्भ की।
Young India and Navjivan newspapers were established in 1920 itself.  Presided over the Congress session held in Belgaum in 1924.  In 1930, under the Civil Disobedience Movement, on 6 April 1930, along with 78 supporters started the journey to Dundee beach to break the salt law.

4 मई को गाँधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया। 26 जनवरी 1931 को जेल से रिहा कर दिया गया। रिहाई के बाद गाँधी जी और इरविन के बीच 5 मार्च 1931 को एक संधि हुईं, जिसे गाँधी इरविन समझौता कहा जाता है। नवम्बर 1931 में दूसरे गोलमेज सम्मेलन में कांग्रेस का नेतृत्व गाँधी जी ने किया। दलितों के पृथक निर्वाचन प्रणाली के विरोध में 1932 में जेल में आमरण अनशन शुरू कर दिया जिसे ब्रिटिश सरकार को झुकना पड़ा।
Gandhiji was arrested on 4 May.  Was released from prison on 26 January 1931.  After the release, a treaty was signed between Gandhiji and Irwin on 5 March 1931, which is called Gandhi Irwin Pact. In November 1931, Gandhiji led the Congress in the Second Round Table Conference. In 1932, in protest against the separate electoral system of Dalits, they started a fast unto death in the jail, which the British Government had to bow down.

7 अप्रैल 1934 को गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन समाप्त कर दिया। 3 सितम्बर 1934 को दूसरे विश्व युद्ध में गाँधी जी का ब्रिटिश सरकार को कोई सहयोग नहीं किया गया।
On 7 April 1934 Gandhiji ended the Civil Disobedience Movement. On 3 September 1934, Gandhiji was not supported by the British government in the Second World War.

मार्च 1942 में भारत आए क्रिप्स मिशन द्वारा प्रस्ताव को Post dated cheque की संज्ञा दी। 8 अगस्त 1942 को गाँधी जी ने ऐतिहासिक अंग्रेजों भारत छोड़ो प्रस्ताव कांग्रेस से पास करवाया, जिसमें उन्होंने करो या मरो का नारा दिया।
The proposal was called Post dated cheque by the Cripps Mission to India in March 1942.  On 8 August 1942, Gandhiji passed the historic British Quit India proposal to the Congress, in which he gave the slogan of do or die.

गाँधी जी के सतत प्रयास से 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र भारत के रूप में स्थापित किया जा सका। भारत के इतिहास में वह काला दिन भी आया जब 30 जनवरी 1948 को  दिल्ली के एक प्रार्थना सभा में नाथूराम गोडसे ने गाँधी जी को गोली मार कर हत्या कर दी।
With the continuous efforts of Gandhiji, India could be established as an independent India on 15 August 1947. That black day also came in the history of India when Nathuram Godse shot and killed Gandhiji at a prayer meeting in Delhi on 30 January 1948.

गाँधी जी ने सामाजिक बुराइयों के खिलाफ अनेक कार्य किये अछूतों को हरिजन की संज्ञा दी। आर्थिक विकास के लिए ग्राम उद्योग संघ, तालिमी संघ एवं गो रक्षा संघ की स्थापना की, साथ ही साथ लघु उद्योग और कुटीर उद्योगों के अधिक महत्व दिया। खादी को गाँधी जी ने अपना मुख्य कार्यक्रम बनाया, सफाई को प्रोत्साहन देने के लिए स्वयं सफाई का काम करते थे। अन्य समाज सुधार के अनेक कार्य जैसे- दहेज प्रथा, बाल विवाह, पर्दा प्रथा, शराब बंदी आदि का खुल कर विरोध किया।
भारत सचिव मांटेग्यू ने गाँधी जी को "हवा में रहने वाला एक शुद्ध दार्शनिक" कहा था, लेकिन उस दार्शनिक ने  ब्रिटिश सरकार की जड़ें हिला कर रख दिया और समाज में मौलिक परिवर्तन कर दिया।"
Gandhiji did many things against social evils, calling untouchables as Harijan.  For economic development the Village Industries Association, the Talimi Union and the Go Raksha Sangh were established, as well as gave more importance to small scale industries and cottage industries.  Gandhiji made Khadi his main program, he himself used to do cleaning work to promote cleanliness. Many other works of social reform such as dowry system, child marriage, purdah system, liquor confinement etc. were openly opposed.
India Secretary Montague called Gandhiji "a pure philosopher living in the air", but that philosopher shook the roots of the British government and made a fundamental change in society. "

बिस्कोउन्ट सैमुअल्स ने गाँधी जी के बारे में कहा है कि"  गाँधी जी ने अपना नेतृत्व प्रदान कर भारतीय जनता को अपनी कमर सीधी करना सिखाया, अपनी आँखें ऊपर करना सिखाया तथा अविचल दृष्टि से परिस्थितियों का सामना करना सिखाया।, सचमुच में महात्मा गांधी भारतीय राजनीति और राष्ट्र के महान संत थे।
Biscount Samuels has said about Gandhi ji that "Gandhiji, by providing his leadership, taught the Indian people to straighten their waist, raise their eyes and face the situation with unflinching vision." Truly Mahatma Gandhi Indian politics  And was the great saint of the nation.

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