प्रकृति आराधना। Nature worship.
पृथ्वी पर जीवन की कल्पना प्रकृति के कारण ही संभव हुआ हैं। प्रकृति न होती तो, क्या मनुष्य रहते? क्या जीव-जंतुओं होते? क्या वनस्पतियों रहती? आप मनुष्य होने के कारण जितने भी प्रश्न खड़े कर दीजिए? जिस प्रकार प्रकृति के साथ मनुष्य खेल रहा हैं, उसका परिणाम भी दिखाई देने लगा हैं। चारों-ओर देखने मात्र से मन दुखी हो जाता हैं कि कहीं जलमग्न, तो कहीं सूखा, भूकंप, भूस्खलन, वन होता हैं! बस ये कल्पना ही कर सकते हैं।
The imagery of life on earth has been possible only due to nature. If nature were not there, would humans live? What would be animals? Does the flora live? Being a man, raise all the questions? The way human beings are playing with nature, the results are also visible. Just looking around, the mind gets sad that somewhere is submerged, somewhere there is drought, earthquake, landslide, forest! One can only imagine this.
The imagery of life on earth has been possible only due to nature. If nature were not there, would humans live? What would be animals? Does the flora live? Being a man, raise all the questions? The way human beings are playing with nature, the results are also visible. Just looking around, the mind gets sad that somewhere is submerged, somewhere there is drought, earthquake, landslide, forest! One can only imagine this.
प्रकृति की कोख से ही जीवन संभव हैं। जीवन के कई रूप में चाहे वह फूल-पत्तियां हो, वनस्पति, जीव-जंतु, या फिर समझदार मनुष्य हो। सभी प्राणियों की जीवनदात्री माता प्रकृति ही हैं। इसलिए मनुष्य अपने चहुमुंखी विकास के लिए प्रकृति रूपी माता से विमुख ना हो, क्योंकि यदि पूर्ण रूप से प्रकृति हम मनुष्यों से विमुख हो गई तो वह समय दूर नहीं कि पृथ्वी पर उपस्थित सभी प्रकार के प्राणियों के जीवन पर घोर संकट उत्पन्न हो जाएगा। जिसका प्रमाण विश्व के अनेक स्थानों के साथ साथ भारत के कई भागों में दिखाई दिया हैं।
Life is possible only from the womb of nature. In many forms of life, be it flowers, leaves, flora, fauna, or sensible man. Mother-nature is the life partner of all beings. Therefore human beings should not be alienated from the mother of nature for their all-round development because if nature has completely turned away from us humans, then the time is not far away that the life of all kinds of beings on earth will be in grave danger. Evidence of which has been seen in many places of the world as well as in many parts of India.
Life is possible only from the womb of nature. In many forms of life, be it flowers, leaves, flora, fauna, or sensible man. Mother-nature is the life partner of all beings. Therefore human beings should not be alienated from the mother of nature for their all-round development because if nature has completely turned away from us humans, then the time is not far away that the life of all kinds of beings on earth will be in grave danger. Evidence of which has been seen in many places of the world as well as in many parts of India.
आज मनुष्य प्राकृतिक जीवन शैली को त्याग कर कृत्रिम जीवन शैली के रास्ते पर चल रहा हैं, कृत्रिम रूप से जीवन प्रणाली का मनुष्य अपने जीवन को सुगम बनाने के लिए प्रकृति का दोहन कर रहा हैं, जो अक्षम्य अपराध हैं, हम सभी इसमें सुधार करने लगे तो प्रकृति को मनाना आसान हो जाएगा।
Today humans are abandoning the natural way of life and walking on the path of artificial lifestyle, humans are artificially exploiting nature to make their life easier, which are unforgivable crimes, we all started improving it So it will become easier to celebrate nature.
जिस प्रकार अबोध बच्चों को अपने जीवन के लिए माँ पर निर्भर होना पड़ता हैं आज कमोबेश वहीं स्थिति प्रकृति को अपने बच्चों पर निर्भर रहने के लिए मजबूर कर दिया गया है। धीरे-धीरे वृक्ष काट डाले जिससे जंगल समाप्त हो गए, जंगलों के स्थान पर सीमेंट बालू के जंगलों ने ले लिया। हमें प्रकृति को उसके हक का जंगल वापस देना होगा। नदियों के वास्तविक प्रवाह को रोक कर भू-जल की समस्या के साथ साथ नदियों के प्रदूषण रहित बनाने के लिए दोनों किनारों पर वन क्षेत्र को प्रोत्साहित करना आवश्यक होता जा रहा है।
Just as innocent children have to depend on their mother for their lives, today more or less the nature has been forced to depend on their children. Slowly cutting down the trees, which eliminated the forests, the cement was replaced by sand forests. We have to give back the forest to its right to nature. Along with the problem of ground water by stopping the actual flow of rivers, it is becoming necessary to encourage forest area on both sides to make the rivers pollution free.
वायु मण्डल को संतुलित और स्वच्छ रखने के लिए भी नीम् , पीपल वृक्ष, बरगद, महुआ के वृक्ष, आम, जामुन आदि के पेड़ों को लगाकर हम वायुमंडल को भी प्रकृति के सौंदर्य को प्रदूषण मुक्त करना पड़ेगा।
To keep the air system balanced and clean, we also have to make the atmosphere of nature free of pollution by planting trees of neem, peepal tree, banyan, mahua tree, mango, berries etc.
हमारी प्रकृति के समक्ष उपस्थित जो मुख्य समस्या जनसंख्या वृद्धि के कारण उपजाऊ भूमि अधिग्रहण कर नगर और नये नये क़स्बे, कालोनियों को अनियोजित और अनियंत्रित बढ़ावा देने पर भी मनुष्यों को विचार करना अति आवश्यक हैं।
The main problem present in front of our nature, due to population growth, it is very important to consider human beings even by taking fertile land and promoting new city and towns unplanned and uncontrolled colonies.
प्रकृति और जीवन के बीच एक संतुलन का होना ही चाहिए क्योंकि हम ऐसा नहीं करेंगे तो इसका परिणाम हमारे आने वाले कुलदीपकों पर पड़ेगा, इसलिए कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि प्रकृति के प्रति कृतज्ञता के लिए समर्पित हो आराध्य की आराधना करें, जैसे वन देवी के रूप में, जल के रूप में, वायु देवता के रूप में, अग्नि के रूप में हो। इस प्रकार प्रकृति हमें सदैव ही पालती और पुष्ट करती हैं, जिस की कृपा प्राप्त हो।
There must be a balance between nature and life because if we do not do this then it will result in our Kuldeepaks, so it would not be an exaggeration to say that one should be devoted to gratitude towards nature and worship the adorable, like the form of forest goddess. In, be in the form of water, as the god of air, as fire. In this way, nature always nurtures and reinforces us, whose grace is received.
"प्रकृति का पोषण ही, प्राणी मात्र का पोषण है।"
"Nature is nourished, the creature is nourished only."
"आँधी के झोंको के कारण गुलाब का फूल पृथ्वी पर गिर पड़ा, यह देख कैक्टस के झाड़ ने हँसी में कहा कि," तुम्हारा भी क्या जीवन हैं? आँधी के कारण तुम पृथ्वी पर गिरे हुए हो। मुझे देखो, मैं कैसे अकड़ के खड़ा हूँ। गुलाब ने उत्तर दिया कि," मित्र आँधी के कारण पृथ्वी पर गिरा हूँ, लेकिन यह भी देखों कि इसी आँधी के हवा के कारण मेरी खुशबू को सभी दिशाओं में फैला दिया है"
"Seeing that the rose flower fell on the earth due to the winds of the storm, the cactus tree said laughter,"What is your life too? You are fallen on the earth because of the wind. Look at me, how I stand Rose replied,"Friend fell on the earth due to the wind, but also see that due to this wind the wind has spread my fragrance in all directions".
Today humans are abandoning the natural way of life and walking on the path of artificial lifestyle, humans are artificially exploiting nature to make their life easier, which are unforgivable crimes, we all started improving it So it will become easier to celebrate nature.
जिस प्रकार अबोध बच्चों को अपने जीवन के लिए माँ पर निर्भर होना पड़ता हैं आज कमोबेश वहीं स्थिति प्रकृति को अपने बच्चों पर निर्भर रहने के लिए मजबूर कर दिया गया है। धीरे-धीरे वृक्ष काट डाले जिससे जंगल समाप्त हो गए, जंगलों के स्थान पर सीमेंट बालू के जंगलों ने ले लिया। हमें प्रकृति को उसके हक का जंगल वापस देना होगा। नदियों के वास्तविक प्रवाह को रोक कर भू-जल की समस्या के साथ साथ नदियों के प्रदूषण रहित बनाने के लिए दोनों किनारों पर वन क्षेत्र को प्रोत्साहित करना आवश्यक होता जा रहा है।
Just as innocent children have to depend on their mother for their lives, today more or less the nature has been forced to depend on their children. Slowly cutting down the trees, which eliminated the forests, the cement was replaced by sand forests. We have to give back the forest to its right to nature. Along with the problem of ground water by stopping the actual flow of rivers, it is becoming necessary to encourage forest area on both sides to make the rivers pollution free.
वायु मण्डल को संतुलित और स्वच्छ रखने के लिए भी नीम् , पीपल वृक्ष, बरगद, महुआ के वृक्ष, आम, जामुन आदि के पेड़ों को लगाकर हम वायुमंडल को भी प्रकृति के सौंदर्य को प्रदूषण मुक्त करना पड़ेगा।
To keep the air system balanced and clean, we also have to make the atmosphere of nature free of pollution by planting trees of neem, peepal tree, banyan, mahua tree, mango, berries etc.
हमारी प्रकृति के समक्ष उपस्थित जो मुख्य समस्या जनसंख्या वृद्धि के कारण उपजाऊ भूमि अधिग्रहण कर नगर और नये नये क़स्बे, कालोनियों को अनियोजित और अनियंत्रित बढ़ावा देने पर भी मनुष्यों को विचार करना अति आवश्यक हैं।
The main problem present in front of our nature, due to population growth, it is very important to consider human beings even by taking fertile land and promoting new city and towns unplanned and uncontrolled colonies.
प्रकृति और जीवन के बीच एक संतुलन का होना ही चाहिए क्योंकि हम ऐसा नहीं करेंगे तो इसका परिणाम हमारे आने वाले कुलदीपकों पर पड़ेगा, इसलिए कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि प्रकृति के प्रति कृतज्ञता के लिए समर्पित हो आराध्य की आराधना करें, जैसे वन देवी के रूप में, जल के रूप में, वायु देवता के रूप में, अग्नि के रूप में हो। इस प्रकार प्रकृति हमें सदैव ही पालती और पुष्ट करती हैं, जिस की कृपा प्राप्त हो।
There must be a balance between nature and life because if we do not do this then it will result in our Kuldeepaks, so it would not be an exaggeration to say that one should be devoted to gratitude towards nature and worship the adorable, like the form of forest goddess. In, be in the form of water, as the god of air, as fire. In this way, nature always nurtures and reinforces us, whose grace is received.
"प्रकृति का पोषण ही, प्राणी मात्र का पोषण है।"
"Nature is nourished, the creature is nourished only."
"आँधी के झोंको के कारण गुलाब का फूल पृथ्वी पर गिर पड़ा, यह देख कैक्टस के झाड़ ने हँसी में कहा कि," तुम्हारा भी क्या जीवन हैं? आँधी के कारण तुम पृथ्वी पर गिरे हुए हो। मुझे देखो, मैं कैसे अकड़ के खड़ा हूँ। गुलाब ने उत्तर दिया कि," मित्र आँधी के कारण पृथ्वी पर गिरा हूँ, लेकिन यह भी देखों कि इसी आँधी के हवा के कारण मेरी खुशबू को सभी दिशाओं में फैला दिया है"
"Seeing that the rose flower fell on the earth due to the winds of the storm, the cactus tree said laughter,"What is your life too? You are fallen on the earth because of the wind. Look at me, how I stand Rose replied,"Friend fell on the earth due to the wind, but also see that due to this wind the wind has spread my fragrance in all directions".
आप सभी से अनुरोध है कि अपना अनमोल विचार व सुझाव दे।
ReplyDeleteप्रकृति की पूजा हमारी संस्कृति का सदैव तत्पर हो करता हैं।
ReplyDeleteधन्यवाद आपको, आप ने सही कहा कि हमारी संस्कृति में ही प्रकृति की आराधना की जाती रही है और आगे भी जारी रहेगी।
ReplyDeletePrakriti ki poja honi chahiye.
ReplyDeleteNice work nice article.
ReplyDeleteNice.
ReplyDeleteGood.
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