प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद जी और उनके मित्र। First President Rajendra Prasad ji and his friends.


भारत गण राज्य के भारत रत्न प्रथम राष्ट्रपति डॉ0 राजेंद्र प्रसाद जी अपनी संस्कृति, परंपरा और मान्यताओं पर पूर्ण रूप से विश्वास रखते और उसका पालन भी किया करते थे। एक दिन उनके मित्र ने अनायास ही उनसे पूछा कि" धर्म के नाम पर अलग-अलग मान्यता क्यों हैं? और आपको धर्म का खंडन करना चाहिए जबकि आप इसके समर्थक दिखाई पड़ते हैं।"
Bharat Ratna First President of the State of India, Dr. Rajendra Prasad ji believed in and followed his culture, tradition and beliefs completely.Oneday his friend spontaneously asked him "Why are there different beliefs in the name of religion? And you should refute religion when you see its supporters."

राजेंद्र बाबू मुस्कराये और बोले कि " एक व्यक्ति कुदाल लेकर सड़क खोदने लगा, किसी ने उसे पूछा कि तुम सड़क क्यों खोद रहे हो? सड़क खोदते हुए व्यक्ति ने कहा कि, " इस सड़क पर रोज दुर्घटना हो ती हैं इसलिए मैं इस सड़क को ही खोद दूँगा ना रहेगा और ना होगी दुर्घटनाए।"
Rajendra Babu smiled and said that "One man started digging the road with a spade, someone asked him why are you digging the road?" The person digging the road said, "There are accidents on this road every day, so I only use this road  I will not dig and there will be no accidents. "

राजेंद्र बाबू ने अपने मित्र से पूछा कि," आप सड़क खोदने वाले व्यक्ति को क्या कहेंगे"। मित्र बोले, " इस प्रकार तो रोड पर चलना मुश्किल हो जाएगा, इससे अच्छा हैं कि लोगों को रोड पर चलने का नियम सिखाया जाए, ट्रैफ़िक नियम को कड़े कर दिये जाने चाहिए।"
Rajendra Babu asked his friend, "what would you call a person who digs the road". Friend said, "Thus it will be difficult to walk on the road, it is better to teach people how to walk on the road, traffic rules should be tightened."

"बस भाई साहब! मेरा यही जवाब हैं" राजेंद्र बाबू ने कहा।
"Just brother! That's my answer" Rajendra Babu said.

धर्म, मनुष्य को सही ढंग से अपने जीवन को जीने का मार्ग बतलाता हैं, मनुष्य को आध्यात्म के ओर ले जाता हैं। किसी मार्ग पर चलने के लिए कुछ नियम होते हैं। धर्म का नियम हैं, हमारा आचरण और अभ्यास।
Religion shows man the right way to live his life, leads man towards spirituality.  There are some rules for walking a route.  The law of religion is our conduct and practice.

धर्म के अनेक मान्यताओं के होते हुए भी उस संस्कृति और परम्परा में दोष देने के बजाए उस आचरण और अभ्यास के भूल को देना चाहिए, जो सही ढंग से नहीं निभाया गया हैं।
Despite the many beliefs of religion, instead of blaming that culture and tradition, one should give the mistake of that practice and practice which has not been done properly.

अतः रास्ता तोड़ने की बात ना सोचें, अभ्यास और आचरण के नियमों को सही ढंग से अपनाये।
So do not think of breaking the path, adopt the rules of practice and conduct properly.



Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

हीरा Diamond

डिजिटल इंडिया में शिक्षक का महत्व। Importance of teacher in Digital India.

कश्मीर का प्राचीन इतिहास। Ancient History of Kashmir.