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Showing posts from September, 2019

संत दादू जी और कोतवाल। Saint Dadu and Kotwal.

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संत दादू जी एक जंगल में निवास करते थे। पास के शहर के लोग जंगल में ही उनका प्रवचन सुनने जाते थे। शहर कोतवाल को संत दादू जी से मिलने की इच्छा हुई तो वह घोड़े पर सवार होकर चल पड़े। जंगल के मार्ग पर चलते हुए काफ़ी समय हो चुका था, लेकिन आस पास कोई दिखाई नहीं दे रहा था। कुछ दूर और चलने पर एक दुबला पतला व्यक्ति दिखा, जो झाडिय़ों को साफ कर रहा था। कोतवाल ने पूछा," ऐ भिखारी! क्या तूने संत दादू की कुटिया देखी हैं।" उस व्यक्ति ने कोई उत्तर नहीं दिया। कोतवाल के दोबारा पूछने पर भी कोई जवाब नहीं मिला। जिस पर कोतवाल को बहुत क्रोध की सीमा न रही। कोतवाल ने घोड़े को हाँकने वाले चाबुक से उस व्यक्ति की पिटाई कर दी। पिटाई के कारण उस व्यक्ति को रक्त बहने लगा, उसके बाद भी वह व्यक्ति कोई उत्तर नहीं दिया। कोतवाल आगे बढ़ा, कुछ दूर जाने के बाद एक किसान मिला। उससे भी कोतवाल ने संत दादू जी के बारे में पूछा। किसान ने बताया कि "आज संत दादू का मौनव्रत हैं और वे इसी मार्ग में कुछ दूर पीछे ही झाडिय़ों को साफ कर रहे हैं।" कोतवाल ने जैसे ही सुना कि, "संत दादू जी झाडिय़ों की सफाई कर रह

नेपोलियन बोनापार्ट। Napoleon Bonaparte.

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नेपोलियन जीवन में सफलता और यश-सम्मान चाहता था। उसे लगा कि साहित्य रचने से ऐसा हो पाना संभव हैं। उसने 8 वर्षों तक लेखन का कार्य किया, पर उसे अपेक्षित परिणाम न मिल सकी। तब उसने अन्य क्षेत्रों में अपना भाग्य आजमाने का निश्चय किया। वह सेना में सैनिक के रूप में भर्ती हुआ और वहाँ अपनी क्षमताओं को बढ़ाने में लग गया। बढ़ते-बढ़ते एक दिन वह देश के एक प्रसिद्ध शासक के रूप में विख्यात हुआ। अपनी क्षमताओं को पहचानने और उनका विकास करने से किसी भी व्यक्ति के द्वारा ऐसी ही प्रगति संम्भव हैं। किसी भी क्षेत्र में असफलता मिलने पर निराशा होकर बैठने से बेहतर है कि अन्य क्षेत्रों में प्रयोग किये जाए। सही क्षेत्र चुनने पर व्यक्ति को को सफलता अवश्य मिलती हैं। Napoleon wanted success and fame in life.  He felt that it is possible to do this by creating literature. He worked in writing for 8 years, but could not get the desired results.  Then she decided to try her luck in other areas. He enlisted in the army as a soldier and began to increase his abilities there. Growing up one day he became famous as a

महाराजा रणजीत सिंह जी और अजीजुद्दीन। Maharaja Ranjit Singh Ji and Azizuddin

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एक बार महाराजा रणजीत सिंह क़िले में बैठे हुए माला कर रहे  थे। उनके यहाँ अतिथि के रूप में आए फकीर अजीजुद्दीन भी वहां तसबीह लिए बैठे थे। महाराजा रणजीत सिंह मनके के अंदर की ओर माला फेर रहे थे, तो फकीर साहब इस्लाम परंपरा के अनुसार बाहर की ओर। Once Maharaja Ranjit Singh was doing garland sitting in the fort. Fakir Azizuddin, who came as a guest to him, was also sitting there for the show. Maharaja Ranjit Singh was turning the bead inside the bead, then Faqir saheb was outward as per Islam tradition. महाराजा ने फकीर अजीजुद्दीन मुश्किल में पड़े कि यदि अंदर की ओर कहते हैं तो बात धर्म के विरुद्ध होती हैं और बाहर कहने पर महाराजा की परंपरा पर चोट पहुँचती हैं। कुछ सोचकर वे बोले- "माला फेरने के दो उद्देश्य होते हैं- अपने दुर्गुणों को बाहर निकालना, और सद्गुणों को धारण करना। The Maharaja found Fakir Azizuddin in trouble that if he says inwardly, then it is against religion and hurting the Maharaja's tradition when he says outside. Thinking something, he said- "There are two

सुभाष चंद बोस। Subhash Chandra Bose.

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सुभाष चन्द्र बोस ने जब बीए ऑनर्स में प्रवेश लिया, तब तक उनमें क्रांतिकारी भावना जागृत हो उठी थी। वे अंग्रेजों के शासन के अत्याचारी व्यवहार के प्रति रह-रहकर आक्रोशित हो उठते थे। कलकत्ता के प्रेसिडेंसी कॉलेज के एक अंग्रेज प्राध्यापक ई एफ. ओटन भारतीय छात्रों के साथ अपमान जनक व्यवहार करते थे। सुभाष चंद बोस ने उनके व्यवहार के विरुद्ध छात्रों की हड़ताल प्रारम्भ कर दी। इससे नाराज ओटन ने एक छात्र की मामूली गलती पर उसकी पिटाई कर दी। इसके विरोध में सुभाष चंद बोस ने सम्पूर्ण कॉलेज को ही बंद करा दिया। अंतत:  अंग्रेज प्राध्यापक को अपने दुर्व्यवहार के लिए क्षमा माँगने को बाध्य होना पड़ा। उनके भीतर की इस जुझारू भावना ने ही उन्हें एक अमर व्यक्तित्व का रूप प्रदान किया। By the time Subhash Chandra Bose entered B.A.(Honors) revolutionary spirit had awakened in him. They used to get angry towards the tyrannical behavior of the British rule. E.F. an English Professor of Presidency College, Calcutta. Ottan used to treat Indian students in a derogatory manner. Subhash Chand Bose started a studen

कहानी story

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किसी गाँव में एक सज्जन पुरुष रहते थे। उनके घर के सामने एक सुनार का घर था। सुनार के पास सोना आता रहता था और वह गढ़ कर देता और ऐसा करके पैसे कमाता था। एक दिन उसके पास अधिक सोना जमा हो गया। रात्रि में पहरा लगाने वाले एक सिपाही को इस बात का पता लग गया। उस पहरेदार ने रात्रि में उस सुनार को मार कर उस बक्शे में सोना को उठाकर चल दिया। इसी बीच सामने रहने वाले सज्जन लघुशंका के लिए उठकर बाहर आये। उन्होंने पहरेदार को पकड़ लिया कि तू इस बक्शे को कैसे ले जा रहा है? तो पहरेदार ने कहा' तू चुप रह, हल्ला मत कर।इस में से कुछ तू लें और कुछ मैं ले लुँ '। सज्जन बोले" मैं कैसे ले लूँ? मैं चोर थोड़े ही हूँ। पहरेदार ने कहा, "देख, तू समझ जा, मेरी बात मान लें, नहीं तो दुःख पायेगा।' पर वे सज्जन माने नहीं, तब पहरेदार बक्शा नीचे रख दिया और उस सज्जन को पकड़कर जोर से सीटी बजा दिया। सीटी की आवाज़ सुनते ही और स्थान पर पहरा दे रहे पहरेदार दौड़ कर वहाँ आ गये। उसने सब से कहा कि 'यह इस घर से बक्सा लेकर आया है और मैंने इसको पकड़ लिया हैं। तब सिपाहियों ने घर में जाकर देखा कि  सुनार मरा पड़ा हैं।

महान शिक्षाविद् डॉ एस. राधाकृष्णन। The great educationist Dr. S. Radhakrishnan.

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'शिक्षक दिवस' भारतीय संस्कृति के वाहक, एक महान दार्शनिक के साथ राष्ट्र-विचारक भारत-रत्न, शिक्षाशास्त्री, कुशल कुलपति तथा भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन की स्मृति में उनके जन्म दिन के अवसर पर मनाया जाता हैं।  भारत के दक्षिण प्रान्त में डॉ॰ राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरूतनी ग्राम में, जो तत्कालीन मद्रास से लगभग 64 कि0मी0 की दूरी पर स्थित है, 5 सितम्बर 1888 को हुआ था। जिस परिवार में उन्होंने जन्म लिया वह एक ब्राह्मण परिवार था। उनका जन्म स्थान भी एक पवित्र तीर्थस्थल के रूप में विख्यात रहा है।  राधाकृष्णन के पुरखे पहले कभी 'सर्वपल्ली' नामक ग्राम में रहते थे और उनके पुरखे चाहते थे कि उनके नाम के साथ उनके जन्मस्थल के ग्राम का बोध भी सदैव रहना चाहिये। इसी कारण उनके परिजन अपने नाम के पूर्व 'सर्वपल्ली' धारण करने लगे थे। राधाकृष्णन एक विद्वान ब्राह्मण की सन्तान थे। उनके पिता का नाम 'सर्वपल्ली वीरास्वामी' और माता का नाम 'सीताम्मा' था। उनके पिता राजस्व विभाग में काम करते थे। 1903 में 16 वर्ष की अवस्था में उनका विवाह &