महान शिक्षाविद् डॉ एस. राधाकृष्णन। The great educationist Dr. S. Radhakrishnan.
'शिक्षक दिवस' भारतीय संस्कृति के वाहक, एक महान दार्शनिक के साथ राष्ट्र-विचारक भारत-रत्न, शिक्षाशास्त्री, कुशल कुलपति तथा भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन की स्मृति में उनके जन्म दिन के अवसर पर मनाया जाता हैं।
भारत के दक्षिण प्रान्त में डॉ॰ राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरूतनी ग्राम में, जो तत्कालीन मद्रास से लगभग 64 कि0मी0 की दूरी पर स्थित है, 5 सितम्बर 1888 को हुआ था। जिस परिवार में उन्होंने जन्म लिया वह एक ब्राह्मण परिवार था। उनका जन्म स्थान भी एक पवित्र तीर्थस्थल के रूप में विख्यात रहा है।
राधाकृष्णन के पुरखे पहले कभी 'सर्वपल्ली' नामक ग्राम में रहते थे और उनके पुरखे चाहते थे कि उनके नाम के साथ उनके जन्मस्थल के ग्राम का बोध भी सदैव रहना चाहिये। इसी कारण उनके परिजन अपने नाम के पूर्व 'सर्वपल्ली' धारण करने लगे थे। राधाकृष्णन एक विद्वान ब्राह्मण की सन्तान थे। उनके पिता का नाम 'सर्वपल्ली वीरास्वामी' और माता का नाम 'सीताम्मा' था। उनके पिता राजस्व विभाग में काम करते थे। 1903 में 16 वर्ष की अवस्था में उनका विवाह "शिवकमु" के सम्पन्न हुआ तब उनकी आयु मात्र 10 वर्ष की थी।
अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने मद्रास विश्व विद्यालय से स्नातकोत्तर परीक्षा पास कर दर्शन शास्त्र में डिग्री प्राप्त किया और उसके बाद विदेश से डी. लिट की उपाधि लेने के बाद विदेश से स्वदेश लौट कर दर्शनशास्त्र में कई विश्व विद्यालय में अध्ययन अध्यापन का कार्य करने लगे इसी दौरान कलकत्ता विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डॉ0 आशुतोष मुखर्जी के विशेष आग्रह पर कोलकाता विश्व विद्यालय में दर्शन शास्त्र के प्राध्यापक नियुक्त हुए, जहाँ से उनकी प्रतिभा की चर्चा चारों दिशाओं में होने लगी।
"अखिल भारतीय एशियाटिक कान्फ्रेंस" में भागलेने के लिए 1931 में काशी आये थे जिसका आयोजन सेंट्रल हिंदू स्कूल के प्रांगण में आयोजित किया गया था। ओजस्विता पूर्ण भाषण के कारण के द्वारा डॉ0 एस. राधाकृष्णन ने वहाँ उपस्थित पंड़ित महामना मदन मोहन मालवीय जी को अपने उत्तराधिकारी के रूप में देखा, जिस को पूरा करने के लिए मालवीय जी ने अथकप्रयास के परिणाम स्वरूप 1939 से 1947 तक डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति के पद पर आसीन रहे।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में कुलपति के दायित्व को निभाते हुए वह प्रति रविवार को मालवीय जी के गीता प्रवचन की परम्परा का पालन किया। बहुमुखी प्रतिभा के कारण और उच्च से उच्च तम पद पर आसीन रहते हुए भी अध्ययन अध्यापन से कभी समझौता नहीं किया
ब्रिटेन के एडिनबरा विश्वविद्यालय में दिये अपने भाषण में डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था- "मानव को एक होना चाहिए। मानव इतिहास का संपूर्ण लक्ष्य मानव जाति की मुक्ति तभी सम्भव है जब देशों की नीतियों का आधार पूरे विश्व में शान्ति की स्थापना का प्रयत्न हो।"
ब्रिटेन के एडिनबरा विश्वविद्यालय में दिये अपने भाषण में डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था- "मानव को एक होना चाहिए। मानव इतिहास का संपूर्ण लक्ष्य मानव जाति की मुक्ति तभी सम्भव है जब देशों की नीतियों का आधार पूरे विश्व में शान्ति की स्थापना का प्रयत्न हो।"
डॉ0 राधाकृष्णन रुस में भारत के राजदूत नियुक्त किये गए, जहाँ उनकी विद्वता से प्रभावित से होकर मार्शल स्टालिन स्वयं मिलने गए थे, यह भारत के लिए गौरव करने वाला दिन था, क्योंकि इससे पूर्व मार्शल किसी भी भारतीय से नहीं मिले थे।
भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति 1952-1962 तक डॉ0 राधाकृष्णन भारत के उप-राष्ट्रपति के पद पर रहे, 1954 में इस महान शिक्षक को भारत-रत्न के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया गया। भारत रत्न प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति भी डॉ राधाकृष्णन जी ही थे, क्योंकि भारत सरकार ने इस प्रकार के सम्मान देने की घोषणा की।
भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद जी के कार्यकाल समाप्त होने के बाद भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में 13 मई 1962 को शपथ ग्रहण कर बने। इस पद पर रहते हुए अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए जिससे भारत को आज भी गर्व की अनुभूति होती हैं। 13 मई 1967 को महामहिम राष्ट्रपति के कार्यकाल पूर्ण होने के बाद अपने पद से मुक्त होकर अपने पैतृक निवास में जाकर अध्ययनरत रहते हुए 17 अप्रैल 1975 को शिवत्व में विलीन हो गए।
भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद जी के कार्यकाल समाप्त होने के बाद भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में 13 मई 1962 को शपथ ग्रहण कर बने। इस पद पर रहते हुए अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए जिससे भारत को आज भी गर्व की अनुभूति होती हैं। 13 मई 1967 को महामहिम राष्ट्रपति के कार्यकाल पूर्ण होने के बाद अपने पद से मुक्त होकर अपने पैतृक निवास में जाकर अध्ययनरत रहते हुए 17 अप्रैल 1975 को शिवत्व में विलीन हो गए।
आप सभी से अनुरोध हैं कि यदि किसी भी प्रकार की गलती मिले उसको बताएं आप के सुझावों की प्रतीक्षा रहती हैं।
ReplyDeleteHappy Teacher's Day.
ReplyDeleteHappy teachers day
ReplyDeleteHappy teachers day
ReplyDeleteHappy teachers day.
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteNice.
ReplyDeleteGood bhaiya.
ReplyDeleteGood.
ReplyDeleteHamare desh ke mahan philosophyer hai.
ReplyDeleteGood.
ReplyDeleteVery good.
ReplyDelete