भारत के गण मन का तंत्र। Tantra of the Indian Ganas.

भारत के गण मन का तंत्र


भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान 1911 में मैथलीशरण गुप्त द्वारा लिखित भारत-भारती नाम की पुस्तक सामने आती है, जिसमें लिखा है कि


"भू-लोक का गौरव प्रकृति का पुण्य लीला स्थल कहा?
फैला मनोहर गिरि हिमालय और गंगा जल जहाँ
सम्पूर्ण देशों से अधिक इस देश का उत्कर्ष है
उसका जो कि ऋषि भूमि है, वह कौन भारत वर्ष है"

During the Indian independence movement, a book named Bharat-Bharati written by Maithilesharan Gupta in 1911 appears, which states that


"Where is the pride of the land, the place of virtue of nature?
Manohar Giri Himalaya and Ganges water spread
This country is more successful than all the countries
Who is his sage land, who is the year of India "

अर्थात भारत वर्ष की गौरवशाली परम्परा में गणतंत्र की संकल्पना हजारों वर्ष पुरानी है। ऋग्वेद अथर्ववेद, ब्राह्मण ग्रंथों, महाभारत तथा कौटिल्य के अर्थशास्त्र आदि अनेक ग्रंथों में प्रसंगानुसार गणतंत्र अथवा गणराज्य पर विचार मिलते है। महर्षि पाणिनि के अष्टाधायी में भी गणराज्यों का उल्लेख मिलता है। कालांतर में गणतंत्र व्यवस्था का राजतंत्र और विदेशी शासन तंत्र में विखराव भी सर्वविदित है। हिंदी उपन्यास वैशाली की नगर वधु में आचार्य चतुरसेन शास्त्री ने गणतंत्रात्मक व्यवस्था पर भी प्रकाश डाला है।

That is, in the glorious tradition of the year of Indian the concept of republic is thousands of years old. In many texts like Rigveda Atharvaveda Brahmin texts Mahabharata and Arthashastra of Kautilya, views on republic or republic are found in context. The mention of republics is also found in Maharishi Panini's Ashtadhai.  Over the years, the republic of the republic and diffusion in the foreign governance system are also well known. Acharya Chatursen Shastri has also thrown light on the republican system in the city bride of the Hindi novel Vaishali.

आज जब हम भारतीय गणतंत्र पर विचार करते है, तो पाते है कि भारतीय गणतंत्र शासन और स्वतंत्रता का प्रतीक है, क्योंकि इसकी संकल्पना के मूल में दो मुख्य आधार है। एक लिखित संविधान और दूसरा जनप्रतिनिधियों के द्वारा चुना गया राष्ट्राध्यक्ष।

Today, when we consider the Indian Republic, we find that the Indian Republic is a symbol of governance and independence, because its concept has two main bases at its core.  One written constitution and the other head of state elected by the people's representatives.

यह भारत वर्ष की लोकतंत्रात्मक और गणतंत्रात्मक व्यवस्था की ही देन है कि देश के सर्वोच्च पद पर आम जनता में से कोई भी पदासीन हो सकता है और वह पदासीन व्यक्ति भी संविधान में निहित नियमों के अनुसार ही शासन व्यवस्था का संचालन करता है।

It is due to the democratic and republican system of the year that any one of the general public can hold office at the highest post of the country and that person also operates the system according to the rules contained in the constitution.

लंबे संघर्षों के बाद भारत-वर्ष 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ किन्तु उसके गणतंत्र होने की प्रक्रिया संविधान लागू होने के बाद यानि 26 जनवरी 1950 में पूरी होती है। भारत का संविधान सुशासन और स्वतंत्रता सहित विभिन्न बिंदुओं पर प्रकाश डाला है।

After long struggles, India became independent on 15 August 1947, but the process of its republic was completed after the constitution came into force i.e. 26 January 1950.  The Constitution of India has highlighted various points including good governance and independence.

भारत का संविधान कहता है कि" हम भारत के लोग भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न समाजवादी, पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक न्याय विचार अभिव्यक्ति विश्वास धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्रतिष्ठा और अवसर की समानता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बन्धुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्पित होकर एतदद्वारा इस संविधान को अंगीकृत अधिनियमित और आत्मार्पित करते है।

The Constitution of India states that "we, the people of India, to make India a full-fledged socialist, secular democratic republic, and to provide all its citizens with social economic and political justice, expression of faith, faith, freedom of worship and equality of opportunity and opportunity.  And to ensure the dignity of the person and the unity and integrity of the nation in all of them  Determined to increase brotherhood, he hereby adopted and enacted this constitution.

भारतीय संविधान में जन-जन द्वारा देखा गया उत्कृष्ट भारत का स्वप्न तथा संकल्प विद्यमान है, इसलिये इसके नीति निदेशक सिद्धान्तों में जनकल्याण के भाव प्रमुख है। सबको साथ लेकर चलने की प्रतिबद्धता के साथ विकेन्द्रीकृत राज प्रणाली यानि पंचायतीराज व्यवस्था को भी अपनाया गया है। ग्राम स्वराज का संकल्प है, एकता, अखंडता का उदघोष भी है, समुचित प्रतिनिधित्व तथा समानता का अधिकार है व्यक्तिगत हित के स्थान पर सामुहिक हितों की प्रधानता है।

The dream and resolve of the excellent India seen by the people in the Indian constitution exists, so the spirit of public welfare is prominent in its policy director's principles.  With the commitment to take everyone along, decentralized Raj system i.e. Panchayati Raj system has also been adopted. The village is the resolve of Swaraj, is also the proclamation of unity, integrity, the right to proper representation and equality is the priority of community interests over personal interests.

भारतीय चिंतन में गणतंत्रात्मक व्यवस्था में तो सुशासन की विधिसमत व्यवस्था तो है, ही राजतंत्र में भी अनेक उदाहरण विद्यमान है, जहाँ व्यक्तिगत हितों को छोड़कर समाज हित के लिए राजाओं ने बड़े-बड़े त्याग किये है।

In Indian thought, there is a legal system of good governance in the republican system, as well as many examples exist in the monarchy, where the kings have made big sacrifices for the social interest except for personal interests.

इस प्रकार स्वतंत्रता कोई सामान्य संज्ञा सूचक शब्द नहीं है बल्कि भारतीय जन मानस में स्वतंत्रता एक आंतरिक गुण माना गया है। राष्ट्र कवि रामधारी सिंह 'दिनकर' ने लिखा है कि "स्वातंत्र्य जाति की लग्न, व्यक्ति की धुन है।
 बाहरी वस्तु यह नहीं, यह भीतरी गुण है।"

Thus, freedom is not a common noun, but independence is considered an intrinsic quality in the Indian public mind. Nation poet Ramdhari Singh 'Dinkar' wrote that

"Ascendant is the tune of the individual, independent of caste.
It is not an external object, it is an inner quality. "

सम्भवतः इसी भीतरी गुण के कारण भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 से 22 तक में स्वतंत्रता के अधिकार को अलग-अलग बिंदुओं से विवेचित करने का प्रयास किया गया है, जैसे- विचारों की स्वतंत्रता, भ्रमण की स्वतंत्रता और निवास की स्वतंत्रता आदि। यह स्वतंत्रता संविधान में लिख दिया गया है, ऐसा नहीं है अपितु भारत के नागरिकों को यह किस प्रकार मिले इसका भी सुशासन के द्वारा प्रयास है।

Probably because of this inner quality, in Articles 19 to 22 of the Indian Constitution, the right to freedom has been tried from different points, such as freedom of thought, freedom of travel and freedom of residence, etc. This freedom has been written in the constitution, it is not so, but how the citizens of India get it is also an attempt by good governance.

भारतीय गण के मन में तंत्र का उद्देश्य केवल स्वाधीन अथवा स्वतंत्र राष्ट्र का होना ही नहीं है, बल्कि सुशासन से स्वराज की स्थापना है। जिसका स्वप्न हमारे स्वाधीनता सेनानियों ने देखा था। महात्मा गांधी ने लिखा है कि " स्वराज्य से मेरा अभिप्राय है, लोकसहमति के अनुसार होने वाला भारत-वर्ष का शासन मेरे सपनों के स्वराज्य में भेदभाव का कोई स्थान नहीं हो सकता, उस पर शिक्षितों या धनवानों का एकाधिपत्य नहीं होगा वह स्वराज्य सबके लिए कल्याणकारी होगा।

The purpose of Tantra in the mind of Indian society is not only to have an independent or independent nation, but to establish Swaraj with good governance. Whose dream was dreamed by our freedom fighters. Mahatma Gandhi wrote that "Swarajya I mean, the year-long rule of India according to public consensus cannot be a place of discrimination in the self-rule of my dreams, there will not be a monopoly of the educated or the rich; it will be beneficial for all. Will happen.



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