Posts

Showing posts from August, 2019

डिजिटल इंडिया में शिक्षक का महत्व। Importance of teacher in Digital India.

Image
देश में शिक्षा के क्षेत्र में जो क्रांति का उदय हुआ हैं, उसमें शिक्षकों का विशेष योगदान हैं। गुरु-शिष्य परंपरा तो हमारी संस्कृति की पहचान हैं। हमारे देश में शिक्षक अर्थात गुरु को तो भगवान से भी बढ कर बताया गया है। संस्कृत का यह श्लोक दर्शाता है कि प्राचीन काल से ही भारत में गुरुजनों को कितना सम्मान दिया जाता रहा है। गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥ गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं, गुरु ही शंकर है; गुरु ही साक्षात परमब्रह्म हैं; ऐसे गुरु का मैं नमन करता हूँ। आज शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से बदल चुकी हैं, जहाँ पहले गुरुकुल प्रणाली के अंतर्गत शिक्षा दी जाती थी वहीँ आज ई- लर्निग का चलन आ चूका हैं। आज हम डिजिटल इंडिया में प्रवेश कर चुका हैं, जिसका असर हमारी शिक्षा प्रणाली पर भी पड़ा हैं। घर बैठे ही दुनिया के किसी भी देश के शिक्षक से शैक्षणिक विकास में सहयोग मिल रहा हैं। किन्तु आधुनिक नई तकनीकी के इस दौर में हमारे शिक्षकों की भूमिका का महत्व पूर्ण हो गयी हैं। जहाँ एक तरफ हमारी साक्षरता की दर बढ़ रही हैं वहीँ द

कभी सूर्य न डूबने वाले साम्राज्य की महारानी। Empress of the Empire who never sunk.

Image
 एलेग्जेंड्रिया विक्टोरिया (1819 ई0-1901 ई0) महारानी विक्टोरिया का जन्म 24 मई 1819 ई0 हुआ था। जब वह 8 महीने की थीं, तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई। जिसके कारण उनका पालन-पोषण माँ और मामा के द्वारा किया गया। राज्य के कार्यवाही करने तथा शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने की भी शिक्षा मामा के द्वारा पहले ही दे दिया गया था, इसके बावजूद भी राजगद्दी पर बैठने के बाद वे अपनी माँ और मामा का शासन व्यवस्था में हस्तक्षेप करना, उन्हें पसंद नहीं था। Queen Victoria was born on 24 May 1819.  Her father died when she was 8 months old. Due to which they were raised by mother and maternal uncle. Even before the Mama was given education to take action of the state and to run the administration smoothly, even after sitting on the throne, he did not like to interfere in the governance of his mother and uncle. महारानी विक्टोरिया 18 वर्ष की आयु में जब राजगद्दी पर बैठी तो सभी ने यहीं कहाँ कि वह एक सुंदर गुड़िया हैं, लेकिन उन्होंने ने विषम परिस्थितियों का चतुराई से अपने देश के हित में प्रयोग क

1857 ई0 की सैनिक क्रांति के पूर्व हुए प्रमुख विद्रोह। Major revolts before the military revolution of 1857 AD.

गवर्नर  जनरल लार्ड कैनिंग के शासन काल के दौरान 10 मई 1857 की महान क्रांति के पूर्व भी भारतीय जनता ने अनेक स्थानों पर अलग-अलग कारणों से ब्रिटिश उपनिवेशवाद से प्राप्त सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ आंदोलन किये थे। यह विद्रोह भारत के पूर्वी भाग से लेकर पश्चिम भाग तक तथा उत्तरी भाग से लेकर भारत के दक्षिण भाग तक में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह किया गया था। पूर्वी भारत में हुए प्रमुख विद्रोह चुआरो का विद्रोह मिदनापुर जिले की आदिम जाति के चुआर लोगों ने 1768 ई0 में भूमि कर तथा अकाल के कारण उत्पन्न आर्थिक संकट से प्रभावित होकर विद्रोह कर दिया। संन्यासी विद्रोह संन्यासी विद्रोह मुख्य रूप से 1770 ई0 में बंगाल प्रान्त के सन्यासियों के द्वारा किया गया, जिसमें बंगाल के जमींदार, कृषक और मूर्तिकार आदि सभी जनता भी इस विद्रोह में अपना अपना योगदान दिया था। 1770 ई0 में बंगाल में भयानक अकाल पड़ा जिस पर ब्रिटिश सरकार बहुत उदासीन थीं और साथ ही साथ तीर्थ यात्रा पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। अकाल और प्रतिबंध के कारण वहाँ के संन्यासियो ने अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ विद्रोह कर दिया, इस घटना से प

कश्मीर की रानी Queen of kashmir

Image
कश्मीर के फारसी इतिहासकारों ने उन आक्रमणकारियो का महिमामंडन करते करते उनकी सियाही और पन्ने खत्म हो गये थे। यदि ऐसा नहीं था तो क्यों नहीं इन इतिहासकारो ने कश्मीर के ज्ञान और संस्कृति के शिखर पर आतंक के खूनी खेल का वर्णन किया हैं। इन्हीं आक्रमणकारियों ने मूर्तियों को तोड़ा और कश्मीर का इतिहास केवल उन्हीं आतताइयों के गौरव से भरा हुआ है, जिन्हें उन फारसी इतिहासकारों ने बुतभंजकों का नाश करने वाला बता रखा है। कश्मीर के फारसी इतिहासकार न तो हिन्दू शासकों के प्रति आदर-भाव रखा, और ना ही उन्होंने इसका उल्लेख किया की क्यों इस्लामी आक्रमणकारियों ने बहुसंख्यक हिन्दू समाज का कत्लेआम किया। Persian historians of Kashmir glorified those invaders and their pages and pages were over. If it was not so then why not these historians have described the bloody game of terror at the peak of Kashmir's knowledge and culture. These invaders broke the idols and the history of Kashmir is filled with the pride of only those terrorists, whom those Persian historians have called the destroyer of idols. T

कश्मीर : मध्य काल से आज तक। Kashmir: From the Middle Ages to the present day.

Image
14वीं शताब्दी में तुर्किस्तान से आये एक क्रूर आतंकी मुस्लिम दुलुचा ने 60,000 लोगो की सेना के साथ कश्मीर में आक्रमण किया और कश्मीर में मुस्लिम साम्राज्य की स्थापना की। दुलुचा ने नगरों और गाँव को नष्ट कर दिया और हजारों हिन्दुओ का नरसंघार किया। बहुत सारे हिन्दुओ को जबरदस्ती मुस्लिम बनाया गया। बहुत सारे हिन्दुओ ने जो इस्लाम नहीं कबूल करना चाहते थे, उन्होंने जहर खाकर आत्महत्या कर ली और बाकि भाग गए या क़त्ल कर दिए गए या इस्लाम कबूल करवा लिए गए। आज जो भी कश्मीरी मुस्लिम है उन सभी के पूर्वजो को इन अत्याचारों के कारण जबरदस्ती मुस्लिम बनाया गया था। भारत पर मुस्लिम आक्रमण अतिक्रमण विश्व इतिहास का सबसे ज्यादा खुनी कहानी है। ज़ैनुल-आब्दीन  1420-1470 तक का राज्य रहा था। सन 1589 में यहां मुगल का राज हुआ। यह अकबर का शासन काल था। मुगल साम्राज्य के विखंडन के बाद यहां पठानों का कब्जा हुआ। यह काल यहां का काला युग कहलाता है। फिर 1814 में पंजाब के शासक महाराजा रणजीत सिंह द्वारा पठानों की पराजय हुई, व सिख साम्राज्य आया।  आधुनिक काल  अंग्रेजों द्वारा सिखों की पराजय 1846 में हुई, ज

कश्मीर का प्राचीन इतिहास। Ancient History of Kashmir.

Image
कश्मीर के इतिहास की जानकारी "कल्हण" द्वारा रचित "राजतरंगिणी" के काव्य रचनाओं को अध्ययन के माध्यम प्राप्त किया जा सकता हैं। इसकी रचना संस्कृत भाषा में किया गया है। The history of Kashmir can be obtained through the study of the poetic compositions of "Rajatarangini" composed by "Kalhan".  It has been composed in Sanskrit language. इस काव्य रचना में 8 अध्याय और कुल 7826 श्लोक हैं, लगभग 1147 ईसवीं से 1149 ईसवीं के अवधि में रचित किया गया था। इंग्लिश में राजतरंगिणी का अनुवाद औरेल स्टीन ने करवाया था।  This poetic composition has 8 chapters and a total of 7826 verses, composed in the period from about 1147 AD to 1149 AD.  Rajarangini was translated into English by Aurel Stein. राजतरंगिणी का शाब्दिक अर्थ हैं "राजाओं की नदी से हैं, आठ अध्यायों को तरंग माना गया हैं।अर्थात आठ तरंगों में राज्य करने वाले राजाओं के वंश के शासन काल के बारे में बताया गया हैं"।  राजतरंगिणी के अनुसार कश्मीर का नाम "कश्यपमेरू" था। Raj

जीवंत काशी Lively Kashi

Image
काशी नगरी विश्व की प्राचीनतम नगरी के रूप में विश्व विख्यात हैं। काशी शब्द एक बहुविकल्पीय शब्द हैं। ऐतिहासिक दृष्टि से काशी 16 महाजनपदों में से एक जनपद हैं। वाराणसी का दूसरा नाम ‘काशी’ प्राचीन काल में एक जनपद के रूप में प्रख्यात था। हरिवंश पुराण में कहा गया है की ‘‘काशस्य काशयो राजन् पुत्रोदीर्घतपस्तथा’’ ‘काशी’ को बसाने वाले पुरुरवा के वंशज राजा ‘काश’ थे। जो वंशज ‘काशि’ कहलाए।  संभव है इसके आधार पर ही इस जनपद का नाम ‘काशी’ पड़ा हो। ‘‘काशते त्रयतो ज्योतिस्तदनख्येमपोश्वर:। अतोनापरं चास्तुकाशीति प्रथितांविभो।’ ॥68॥ काशी खंड, अध्याय 26, Kashi city is world famous as the oldest city in the world. The term Kashi is a multiple choice word.  Historically, Kashi is one of the districts of 16 Mahajanapadas. Varanasi's second name 'Kashi' was famous in ancient times as a district. The Harivansh Purana states that "Kashyas were the descendants of Pururava king Kash," Kashyas, who lived in Kashyo Rajan Putraodighathapastatha".  Those descendants are called 'Kas