आइये प्रकृति को संभाले।Let us take care of nature.


मौसम, प्रकृति की एक अनोखी व्यवस्था है, जो सदियों से मनुष्य के अन्तःकरण को स्पर्श करती रही है। यही स्पर्श हमारे अंतःकरण में समाहित होकर सारी सृष्टि हर्षोल्लास का नवसृजन करती है। सर्दी, गर्मी, बरसात और वसंत ऋतु की बयार तन-मन के सुकोमल हृदय को उमंग, उत्साह, ताजगी और स्फूर्ति का अद्भुत संचार करती है। प्रत्येक ऋतु के आगमन के पहले ही इसकी सुगंध सर्वत्र बिखर जाती है और इस सुगंध में तन-मन भीगने लगता है।
Weather is a unique arrangement of nature, which has touched the conscience of man for centuries. This touch is embedded in our conscience and the whole creation gives rise to joy. The winds of winter, summer, rain and spring give a wonderful feeling of zeal, enthusiasm, freshness and elation to the tender heart of body and mind. Even before the arrival of each season, its fragrance is scattered everywhere and the body-mind starts getting wet in this fragrance.

सर्दी में ठिठुरना, बरसात के मौसम में भीगना, गर्मी में हरे-भरे पेड़ों की शीतल छाँव और वसंत ऋतु की उमंग इसके एहसास को ताजा कर देती है। इन सब मे मौसम के अनूठे रंग की झलक दिखाई देती है। सच्चाई से कहा जाए तो प्रकृति में अपूर्व एवं अद्भुत ज्ञान की अथाह सागर है। यदि हम प्रकृति के नैसर्गिक सौंदर्य को अपने जीवन में उतारने की कोशिश करते है तो यह ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।
Chill in winter, wet in rainy season, cool shade of lush green trees in summer and exaltation of spring brings its feeling. In all these, a glimpse of the unique color of the season is seen. Truthfully speaking, there is an endless ocean of rare and amazing knowledge in nature. This knowledge can be attained if we try to bring the natural beauty of nature into our life.

क्या यह सत्य नही कि मनुष्य प्रकृति से कोसो दूर चला गया है? जबकि प्रकृति हमें अपनी ममतामयी गोद में समेटे हुए हैं। ममतामयी एहसास को हम पाना ही नहीं चाहते है, नहीं तो शीतल छाया में तन की थकान और मन की उलझन को दूर कर सकते है।
Is it not true that man has gone far away from nature? While nature holds us in its Mamatamayi lap. We do not want to get Mamatamayi feeling, otherwise we can remove body fatigue and mind confusion in cold shade.

एक कवि की कल्पनाओं में प्रकृति का सौंदर्य एवं दर्शन दोनों समाहित होते है। कवि कहता नहीं है बल्कि गाता है, क्योंकि जब कवि का मन नदी, पहाड़, झरनो और पंछियों के कलरव के साथ साथ प्रकृति के मनोरम दृश्य को देख कर थिरकने लगता है, नाचने लगते, बोलते कुछ नहीं, मदमस्त हो जाते है। कवि कहता है कि," मेरे घर के पीछे पहाड़ों से झरना बहता है, नदी के रूप में अठखेलियाँ करते, किलकारी करते, आगे बढ़ता है, पृथ्वी और जीवों को जो तृप्ति करता है एवं सागर में मिलकर विलीन हो जाता है। समुद्र का पानी सूर्य तक पहुँचता है, जिसके परिणाम स्वरूप बारिश के रूप में उपहार मिलता है। बारिश से जीव जंतु तालाबों में जाते है, खेत लहलहा उठते है और यह चक्र सदैव चलता रहता है।
A poet's fantasies contain both beauty and philosophy of nature. The poet does not say but sings, because when the poet's mind starts to peek at the river, mountains, waterfalls and birds tweet, along with the panoramic view of nature, they start dancing, talking, nothing gets drunk. The poet states that, "A waterfall flows from the mountains behind my house, as a river makes stubborn, quivering, moving, the earth and creatures that satisfy and merge into the ocean. The sea water  Reaches the Sun, which results in a gift in the form of rain. Due to rain, animals go into ponds, fields rise and this cycle continues forever.

प्रकृति ने अपने मुक्त-हस्त से भारत में अपनी विशेष उपहार सौंपा है, क्योंकि पुरी दुनिया में केवल अपने देश में ही ऋतुएँ या मौसम पूरे सौंदर्य के साथ पदार्पण करती है। इन मौसमों के आगमन से हमारे शरीर के रोम-रोम झूमने और आनंद बहने लगता है। हमारे देश के त्यौहारो का सीधा संबंध भी प्रकृति से है।
Nature has given her special gift to India with her free hand, because Puri makes her debut in the world only in seasons or seasons with full beauty. With the arrival of these seasons, our body starts to roam and enjoy the joy. The festivals of our country are also directly related to nature.

खेतों में जौ और गेहूं की बालियाँ खिलने लगती है, आम के पेड़ों पर मंजरियों की मदमस्त कर देने वाली सुगंध फैलने लगती, हर जगह रंग बिरंगी तितलियां मंडराने लगे समझ लेना चाहिए कि ऋतुओं (मौसम) का राजा वसंत का आगमन होने वाला है। इस मौसम में प्रकृति के सभी जीव-जंतुओं में उमंग, उत्साह देखते बनता है। इसी मौसम में होली का त्यौहार भी मनाया जाता है।
Barley and wheat earrings begin to bloom in the fields, the mingling aroma of mangroves starts spreading on the mango trees, colorful butterflies hover everywhere. It should be understood that the king of seasons (season) is about to come to spring. In this season, zeal, enthusiasm is seen in all the creatures of nature. Holi festival is also celebrated in this season.

आषाढ़ मास के साथ बारिश की पहली-पहली बूंदे धरती पर गिरने लगती है तो धरती और जीवन में प्राणों का नवीन संचार होने लगता है। सारी प्रकृति सृष्टि के इस अनोखे रंग-रूप में अभिभूत और संमोहित हो जाती है। इस मौसम में हरियाली का
पर्व हरतालिका तीज महिलाओं के द्वारा उमंग-उत्साह से मनाया जाता है, यह अवस्था जीवन और प्रकृति के अद्भुत संगम जैसा प्रतीत होता है।
With the month of Ashadh, the first drops of rain begin to fall on the earth, then new life of life begins in the earth and life. The whole nature is overwhelmed and charmed by this unique color of consciousness. Of greenery in this season. The festival is celebrated with great zeal by the women of Tirthalika, this stage looks like a wonderful confluence of life and nature.

इसके बाद दिवाली जो अंधेरे को प्रकाश की ओर बढ़ ने का प्रतीक है और साथ-साथ सर्दी का आगमन होने लगता है। मनुष्य के साथ साथ पेड़ पौधे तथा सभी जीव कपकपाती ठंड का आनंद उठाते है। ठंड के बाद प्रकृति अपने जीर्ण-शीर्ण वस्त्रों का त्याग कर नए कलेवर को ओढ़ने लगती है। यही तो पतझड़ है, इसके बाद पुनः उमंग-उत्साह का नया संदेश लेकर कोयल की कूक के साथ वसंत का फिर से आगमन होता है।लेकिन मनुष्य ने अपनी स्वार्थ और अहंकार के कारण प्रकृतिऔर संवेदना के बीच सुकोमल संबधों में गहरी दरार पैदा कर दिया है, और अब यह दरार इतनी बड़ी हो चुकी है कि मौसम रूठा-रूठा सा रहने लगा है। मौसम का मिजाज बदल गया है।
After this, Diwali which symbolizes the darkness moving towards the light and simultaneously the arrival of winter begins.  Along with humans, plants and all the creatures enjoy the cool winter. After the cold, nature abandons its dilapidated clothes and starts to cover the new body. This is autumn, after this, with the new message of zeal and enthusiasm, spring comes again with the cuckoo. because of his selfishness and arrogance, man has created a deep rift in the tender relations between nature and sensation, and now this rift has become so large that the weather has started to become a bit boring. The weather patterns have changed.

मनुष्यों ने अपने बौद्धिक दृष्टिकोण के दंभ से स्वार्थ को सर्वोपरि और सही सिद्ध किया है, इसी कारण मनुष्य प्रकृति को अपने इशारे पर नचाना चाहता है। प्रकृति को तो मनुष्य कभी नचा नहीं पायेगा, इसके के विपरीत मनुष्य स्वयं अपना विनाश करने की तैयारी कर रहा है।
Human beings have proved self-interest paramount and right with the conceit of their intellectual approach, that is why man wants to dance nature at his behest. Man will never be able to find nature, on the contrary, man is preparing to destroy himself.

अतः हमारे लिए आज यही जरूरी है कि हम मौसम, ऋतु, या प्रकृति से सामंजस्य स्थापित करें, इनका देख भाल करें, इनको पुनः स्थापित करने का प्रयास करें।
Therefore, it is important for us today that we reconcile with the seasons, seasons, or nature, take care of them, try to restore them.

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