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Showing posts from 2019

स्वागत 2020! Welcome 2020!

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नववर्ष की नई सुबह आप सभी को समर्पित हैं, वर्ष 2020 हम सभी का जीवन सुंदर और शुभ बने ऐसी मेरी कामना हैं। आप  सभी का तेजस्वी मन सूर्य के समान प्रखर हो, और प्रखर मन आकाश में विचरण करते हुए पृथ्वी पर अपने जीवन की सार्थकता को साबित करने का सुअवसर प्राप्त करने का प्रयास करें। जो बीत गया, वो अच्छा था या आप के अनुरूप नहीं था। उसकी चिंता किये बिना अपनी कमियों में सुधार कर आगे बढ़ने की शक्ति आने वाले वर्ष में मिले। आप सभी नये वर्ष में आत्म विश्वास, उत्साह, उमंग से अपने अपने कार्य क्षेत्र में सफलता प्राप्त करें।

महामना मदन मोहन मालवीय और काशी हिंदू विश्वविद्यालय। Mahamana Madan Mohan Malaviya and Kashi Hindu University.

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वर्ष 1906 में काशी (वाराणसी) में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का 31वाँ वार्षिक अधिवेशन हुआ, जिसकी अध्यक्षता श्री गोपाल कृष्ण गोखले ने की थी। 31 दिसंबर 1905 को काशी के टाउन हॉल में भारत के शिक्षा क्षेत्र के विद्वानों की एक बैठक हुई। इस बैठक का लाभ उठाकर मालवीयजी ने हिंदू विश्वविद्यालय का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव के अध्ययन के लिए एक समिति बनाई गई। In the year 1906, the 31st annual session of the Indian National Congress was held in Kashi (Varanasi), which was presided over by Shri Gopal Krishna Gokhale. On 31 December 1905, a meeting of scholars from the education sector of India took place in the town hall of Kashi. Taking advantage of this meeting, Malaviyaji proposed a Hindu University. A committee was formed to study this proposal. 20 से 21 जनवरी 1906 तक कुंभ के अवसर पर प्रस्ताव पारित किया गया कि, "बनारस में एक विश्वविद्यालय की स्थापना किया जाए, और जिसका नाम भारतीय विश्वविद्यालय हो। इस विश्वविद्यालय में श्रुति, स्मृति वैदिक, कृषि तकनीकी, ललित कला, भाषा आदि। अन्य कई विभा

महान वैज्ञानिक आर्यभट। Aryabhata, the great scientist.

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आर्यभट यह लेख भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ0 ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, एक वैज्ञानिक के रूप में उपग्रह प्रक्षेपणयान और रणनीतिक मिसाइलो के स्वदेशी विकास के वास्तुकार रहे हैं। एस.एल.वी-3, अग्नि और पृथ्वी, उनकी नेतृत्व के कारण भारत रक्षा और वायु आकाश प्रणालियों में आत्मनिर्भर बन सका। भारत के राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान देश भर के आठ लाख से अधिक छात्रों से भेंट कर उन्होंने महाशक्ति भारत के स्वप्न को रचनात्मक कार्यों द्वारा साकार करने का आह्वान किया। This article Dr. Abdul Kalam, as a scientist has been the architect of indigenous development of satellite launch and strategic missiles. SLV-3, Agni and Prithvi due to his leadership India became self-sufficient in defense and air-sky systems. During his tenure as the President of India, he met more than eight lakh students across the country and called for the realization of the dream of superpower India through creative works. अरुण कुमार तिवारी जी बायो मेडिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर के साथ राष्ट्रपति भवन के विशाल वट व

प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद जी और उनके मित्र। First President Rajendra Prasad ji and his friends.

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भारत गण राज्य के भारत रत्न प्रथम राष्ट्रपति डॉ0 राजेंद्र प्रसाद जी अपनी संस्कृति, परंपरा और मान्यताओं पर पूर्ण रूप से विश्वास रखते और उसका पालन भी किया करते थे। एक दिन उनके मित्र ने अनायास ही उनसे पूछा कि" धर्म के नाम पर अलग-अलग मान्यता क्यों हैं? और आपको धर्म का खंडन करना चाहिए जबकि आप इसके समर्थक दिखाई पड़ते हैं।" Bharat Ratna First President of the State of India, Dr. Rajendra Prasad ji believed in and followed his culture, tradition and beliefs completely.Oneday his friend spontaneously asked him "Why are there different beliefs in the name of religion? And you should refute religion when you see its supporters." राजेंद्र बाबू मुस्कराये और बोले कि " एक व्यक्ति कुदाल लेकर सड़क खोदने लगा, किसी ने उसे पूछा कि तुम सड़क क्यों खोद रहे हो? सड़क खोदते हुए व्यक्ति ने कहा कि, " इस सड़क पर रोज दुर्घटना हो ती हैं इसलिए मैं इस सड़क को ही खोद दूँगा ना रहेगा और ना होगी दुर्घटनाए।" Rajendra Babu smiled and said that "One man started digging the road w

महात्मा गांधी की 150वी जयंती। 150th birth anniversary of Mahatma Gandhi.

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सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह के संसाधन के प्रयोग से भारतीय राजनीतिक मंच पर 1919 से 1948 तक एक सर्वमान व्यक्ति  के रूप में स्थापित रहे। गाँधी जी के इस अवधि को गाँधी युग के नाम से जाना जाता हैं। जे0 एच0 होम्स ने गाँधी जी के विषय में कहा है कि "गाँधी जी की गणना उन महान व्यक्तियो से की जा सकती हैं, वे अल्फ्रेड, वाशिंगटन तथा लैफ्ट की तरह एक महान राष्ट्र निर्माता थे। उन्होंने बिलबर फोर्स, गैरिसन और लिंकन के समान भारत को दासता से मुक्त कराने का महत्वपूर्ण कार्य किया, वे सेंट फ्रांसिस और टालस्टाय की अहिंसा के उपदेशक और बुद्ध, ईसा तथा जोरास्ट्र की तरह आध्यात्मिक नेता थे। From 1919 to 1948 he was established as a common man on the Indian political platform using the resources of truth, non-violence and satyagraha. This period of Gandhiji is known as Gandhi era. J.H. Holmes has said about Gandhiji that "Gandhiji can be counted from those great men, he was a great nation builder like Alfred, Washington and Laft. He was like India like Bilber Force, Garrison and Lincoln  He was th

प्रकृति आराधना। Nature worship.

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पृथ्वी पर जीवन की कल्पना प्रकृति के कारण ही संभव हुआ हैं। प्रकृति न होती तो, क्या मनुष्य रहते? क्या जीव-जंतुओं होते? क्या वनस्पतियों रहती? आप मनुष्य होने के कारण जितने भी प्रश्न खड़े कर दीजिए? जिस प्रकार प्रकृति के साथ मनुष्य खेल रहा हैं, उसका परिणाम भी दिखाई देने लगा हैं। चारों-ओर देखने मात्र से मन दुखी हो जाता हैं कि कहीं जलमग्न, तो कहीं सूखा, भूकंप, भूस्खलन, वन होता हैं! बस ये कल्पना ही कर सकते हैं। The imagery of life on earth has been possible only due to nature.  If nature were not there, would humans live?  What would be animals? Does the flora live? Being a man, raise all the questions? The way human beings are playing with nature, the results are also visible.  Just looking around, the mind gets sad that somewhere is submerged, somewhere there is drought, earthquake, landslide, forest!  One can only imagine this. प्रकृति की कोख से ही जीवन संभव हैं। जीवन के कई रूप में चाहे वह फूल-पत्तियां हो, वनस्पति, जीव-जंतु, या फिर समझदार मनुष्य हो। सभी प्राणियों की जीवनदात्री मा

संत दादू जी और कोतवाल। Saint Dadu and Kotwal.

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संत दादू जी एक जंगल में निवास करते थे। पास के शहर के लोग जंगल में ही उनका प्रवचन सुनने जाते थे। शहर कोतवाल को संत दादू जी से मिलने की इच्छा हुई तो वह घोड़े पर सवार होकर चल पड़े। जंगल के मार्ग पर चलते हुए काफ़ी समय हो चुका था, लेकिन आस पास कोई दिखाई नहीं दे रहा था। कुछ दूर और चलने पर एक दुबला पतला व्यक्ति दिखा, जो झाडिय़ों को साफ कर रहा था। कोतवाल ने पूछा," ऐ भिखारी! क्या तूने संत दादू की कुटिया देखी हैं।" उस व्यक्ति ने कोई उत्तर नहीं दिया। कोतवाल के दोबारा पूछने पर भी कोई जवाब नहीं मिला। जिस पर कोतवाल को बहुत क्रोध की सीमा न रही। कोतवाल ने घोड़े को हाँकने वाले चाबुक से उस व्यक्ति की पिटाई कर दी। पिटाई के कारण उस व्यक्ति को रक्त बहने लगा, उसके बाद भी वह व्यक्ति कोई उत्तर नहीं दिया। कोतवाल आगे बढ़ा, कुछ दूर जाने के बाद एक किसान मिला। उससे भी कोतवाल ने संत दादू जी के बारे में पूछा। किसान ने बताया कि "आज संत दादू का मौनव्रत हैं और वे इसी मार्ग में कुछ दूर पीछे ही झाडिय़ों को साफ कर रहे हैं।" कोतवाल ने जैसे ही सुना कि, "संत दादू जी झाडिय़ों की सफाई कर रह

नेपोलियन बोनापार्ट। Napoleon Bonaparte.

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नेपोलियन जीवन में सफलता और यश-सम्मान चाहता था। उसे लगा कि साहित्य रचने से ऐसा हो पाना संभव हैं। उसने 8 वर्षों तक लेखन का कार्य किया, पर उसे अपेक्षित परिणाम न मिल सकी। तब उसने अन्य क्षेत्रों में अपना भाग्य आजमाने का निश्चय किया। वह सेना में सैनिक के रूप में भर्ती हुआ और वहाँ अपनी क्षमताओं को बढ़ाने में लग गया। बढ़ते-बढ़ते एक दिन वह देश के एक प्रसिद्ध शासक के रूप में विख्यात हुआ। अपनी क्षमताओं को पहचानने और उनका विकास करने से किसी भी व्यक्ति के द्वारा ऐसी ही प्रगति संम्भव हैं। किसी भी क्षेत्र में असफलता मिलने पर निराशा होकर बैठने से बेहतर है कि अन्य क्षेत्रों में प्रयोग किये जाए। सही क्षेत्र चुनने पर व्यक्ति को को सफलता अवश्य मिलती हैं। Napoleon wanted success and fame in life.  He felt that it is possible to do this by creating literature. He worked in writing for 8 years, but could not get the desired results.  Then she decided to try her luck in other areas. He enlisted in the army as a soldier and began to increase his abilities there. Growing up one day he became famous as a

महाराजा रणजीत सिंह जी और अजीजुद्दीन। Maharaja Ranjit Singh Ji and Azizuddin

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एक बार महाराजा रणजीत सिंह क़िले में बैठे हुए माला कर रहे  थे। उनके यहाँ अतिथि के रूप में आए फकीर अजीजुद्दीन भी वहां तसबीह लिए बैठे थे। महाराजा रणजीत सिंह मनके के अंदर की ओर माला फेर रहे थे, तो फकीर साहब इस्लाम परंपरा के अनुसार बाहर की ओर। Once Maharaja Ranjit Singh was doing garland sitting in the fort. Fakir Azizuddin, who came as a guest to him, was also sitting there for the show. Maharaja Ranjit Singh was turning the bead inside the bead, then Faqir saheb was outward as per Islam tradition. महाराजा ने फकीर अजीजुद्दीन मुश्किल में पड़े कि यदि अंदर की ओर कहते हैं तो बात धर्म के विरुद्ध होती हैं और बाहर कहने पर महाराजा की परंपरा पर चोट पहुँचती हैं। कुछ सोचकर वे बोले- "माला फेरने के दो उद्देश्य होते हैं- अपने दुर्गुणों को बाहर निकालना, और सद्गुणों को धारण करना। The Maharaja found Fakir Azizuddin in trouble that if he says inwardly, then it is against religion and hurting the Maharaja's tradition when he says outside. Thinking something, he said- "There are two

सुभाष चंद बोस। Subhash Chandra Bose.

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सुभाष चन्द्र बोस ने जब बीए ऑनर्स में प्रवेश लिया, तब तक उनमें क्रांतिकारी भावना जागृत हो उठी थी। वे अंग्रेजों के शासन के अत्याचारी व्यवहार के प्रति रह-रहकर आक्रोशित हो उठते थे। कलकत्ता के प्रेसिडेंसी कॉलेज के एक अंग्रेज प्राध्यापक ई एफ. ओटन भारतीय छात्रों के साथ अपमान जनक व्यवहार करते थे। सुभाष चंद बोस ने उनके व्यवहार के विरुद्ध छात्रों की हड़ताल प्रारम्भ कर दी। इससे नाराज ओटन ने एक छात्र की मामूली गलती पर उसकी पिटाई कर दी। इसके विरोध में सुभाष चंद बोस ने सम्पूर्ण कॉलेज को ही बंद करा दिया। अंतत:  अंग्रेज प्राध्यापक को अपने दुर्व्यवहार के लिए क्षमा माँगने को बाध्य होना पड़ा। उनके भीतर की इस जुझारू भावना ने ही उन्हें एक अमर व्यक्तित्व का रूप प्रदान किया। By the time Subhash Chandra Bose entered B.A.(Honors) revolutionary spirit had awakened in him. They used to get angry towards the tyrannical behavior of the British rule. E.F. an English Professor of Presidency College, Calcutta. Ottan used to treat Indian students in a derogatory manner. Subhash Chand Bose started a studen

कहानी story

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किसी गाँव में एक सज्जन पुरुष रहते थे। उनके घर के सामने एक सुनार का घर था। सुनार के पास सोना आता रहता था और वह गढ़ कर देता और ऐसा करके पैसे कमाता था। एक दिन उसके पास अधिक सोना जमा हो गया। रात्रि में पहरा लगाने वाले एक सिपाही को इस बात का पता लग गया। उस पहरेदार ने रात्रि में उस सुनार को मार कर उस बक्शे में सोना को उठाकर चल दिया। इसी बीच सामने रहने वाले सज्जन लघुशंका के लिए उठकर बाहर आये। उन्होंने पहरेदार को पकड़ लिया कि तू इस बक्शे को कैसे ले जा रहा है? तो पहरेदार ने कहा' तू चुप रह, हल्ला मत कर।इस में से कुछ तू लें और कुछ मैं ले लुँ '। सज्जन बोले" मैं कैसे ले लूँ? मैं चोर थोड़े ही हूँ। पहरेदार ने कहा, "देख, तू समझ जा, मेरी बात मान लें, नहीं तो दुःख पायेगा।' पर वे सज्जन माने नहीं, तब पहरेदार बक्शा नीचे रख दिया और उस सज्जन को पकड़कर जोर से सीटी बजा दिया। सीटी की आवाज़ सुनते ही और स्थान पर पहरा दे रहे पहरेदार दौड़ कर वहाँ आ गये। उसने सब से कहा कि 'यह इस घर से बक्सा लेकर आया है और मैंने इसको पकड़ लिया हैं। तब सिपाहियों ने घर में जाकर देखा कि  सुनार मरा पड़ा हैं।

महान शिक्षाविद् डॉ एस. राधाकृष्णन। The great educationist Dr. S. Radhakrishnan.

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'शिक्षक दिवस' भारतीय संस्कृति के वाहक, एक महान दार्शनिक के साथ राष्ट्र-विचारक भारत-रत्न, शिक्षाशास्त्री, कुशल कुलपति तथा भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन की स्मृति में उनके जन्म दिन के अवसर पर मनाया जाता हैं।  भारत के दक्षिण प्रान्त में डॉ॰ राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरूतनी ग्राम में, जो तत्कालीन मद्रास से लगभग 64 कि0मी0 की दूरी पर स्थित है, 5 सितम्बर 1888 को हुआ था। जिस परिवार में उन्होंने जन्म लिया वह एक ब्राह्मण परिवार था। उनका जन्म स्थान भी एक पवित्र तीर्थस्थल के रूप में विख्यात रहा है।  राधाकृष्णन के पुरखे पहले कभी 'सर्वपल्ली' नामक ग्राम में रहते थे और उनके पुरखे चाहते थे कि उनके नाम के साथ उनके जन्मस्थल के ग्राम का बोध भी सदैव रहना चाहिये। इसी कारण उनके परिजन अपने नाम के पूर्व 'सर्वपल्ली' धारण करने लगे थे। राधाकृष्णन एक विद्वान ब्राह्मण की सन्तान थे। उनके पिता का नाम 'सर्वपल्ली वीरास्वामी' और माता का नाम 'सीताम्मा' था। उनके पिता राजस्व विभाग में काम करते थे। 1903 में 16 वर्ष की अवस्था में उनका विवाह &

डिजिटल इंडिया में शिक्षक का महत्व। Importance of teacher in Digital India.

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देश में शिक्षा के क्षेत्र में जो क्रांति का उदय हुआ हैं, उसमें शिक्षकों का विशेष योगदान हैं। गुरु-शिष्य परंपरा तो हमारी संस्कृति की पहचान हैं। हमारे देश में शिक्षक अर्थात गुरु को तो भगवान से भी बढ कर बताया गया है। संस्कृत का यह श्लोक दर्शाता है कि प्राचीन काल से ही भारत में गुरुजनों को कितना सम्मान दिया जाता रहा है। गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥ गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं, गुरु ही शंकर है; गुरु ही साक्षात परमब्रह्म हैं; ऐसे गुरु का मैं नमन करता हूँ। आज शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से बदल चुकी हैं, जहाँ पहले गुरुकुल प्रणाली के अंतर्गत शिक्षा दी जाती थी वहीँ आज ई- लर्निग का चलन आ चूका हैं। आज हम डिजिटल इंडिया में प्रवेश कर चुका हैं, जिसका असर हमारी शिक्षा प्रणाली पर भी पड़ा हैं। घर बैठे ही दुनिया के किसी भी देश के शिक्षक से शैक्षणिक विकास में सहयोग मिल रहा हैं। किन्तु आधुनिक नई तकनीकी के इस दौर में हमारे शिक्षकों की भूमिका का महत्व पूर्ण हो गयी हैं। जहाँ एक तरफ हमारी साक्षरता की दर बढ़ रही हैं वहीँ द

कभी सूर्य न डूबने वाले साम्राज्य की महारानी। Empress of the Empire who never sunk.

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 एलेग्जेंड्रिया विक्टोरिया (1819 ई0-1901 ई0) महारानी विक्टोरिया का जन्म 24 मई 1819 ई0 हुआ था। जब वह 8 महीने की थीं, तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई। जिसके कारण उनका पालन-पोषण माँ और मामा के द्वारा किया गया। राज्य के कार्यवाही करने तथा शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने की भी शिक्षा मामा के द्वारा पहले ही दे दिया गया था, इसके बावजूद भी राजगद्दी पर बैठने के बाद वे अपनी माँ और मामा का शासन व्यवस्था में हस्तक्षेप करना, उन्हें पसंद नहीं था। Queen Victoria was born on 24 May 1819.  Her father died when she was 8 months old. Due to which they were raised by mother and maternal uncle. Even before the Mama was given education to take action of the state and to run the administration smoothly, even after sitting on the throne, he did not like to interfere in the governance of his mother and uncle. महारानी विक्टोरिया 18 वर्ष की आयु में जब राजगद्दी पर बैठी तो सभी ने यहीं कहाँ कि वह एक सुंदर गुड़िया हैं, लेकिन उन्होंने ने विषम परिस्थितियों का चतुराई से अपने देश के हित में प्रयोग क