पुस्तकों से जुड़िए और पढ़िए।
Books were an integral part of life till a few years ago. But due to today's changing digital age, there is a huge decline in the reading of books.
आज का युवा अब फेसबुक, वॉट्सएप तथा इंटरनेट पर अपना समय गुजारना पसंद करते है। पुस्तकें अब केवल ड्राइंग रूम में सजावट का सामान बनकर रह गई है। भारत में किताबों के प्रति तेज-गति से हो रहा यह मोहभंग चिंताजनक है।
Today's youth now like to spend their time on Facebook, WhatsApp and Internet. Books are now left as decoration items only in the drawing room. This disenchantment with the fast pace of books in India is worrying.
24 राज्यों के 26 जिलों में 'असर' (एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट) द्वारा किए गए सर्वे बताते हैं कि इन राज्यों के साठ-साठ गांवों में किए गए सर्वे में यह बात निकलकर आई कि वहां 94 फीसदी लोगों के पास मोबाइल और करीब 74 के पास टेलीविजन हैं।
Surveys conducted by 'Asar' (Annual Status of Education Report) in 26 districts of 24 states show that in a survey conducted in sixty-six villages of these states, 94 percent of the people had mobile and about 74. Has televisions.
लेकिन पुस्तकें और पत्रिकाओं के मामले में यह आंकड़ा बेहद निराशाजनक है। केवल 10 फीसदी लोगों के घरों में ही पुस्तक और पत्रिका मिली।
But in the case of books and magazines, this figure is very disappointing. Only 10 percent of the people found books and magazines in their homes.
दुनिया-भर की 285 यूनिवर्सिटी में ब्रिटेन और इटली की यूनिवर्सिटी ने संयुक्त अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला है कि जो छात्र डिजिटल तकनीक का अधिकतम उपयोग करते हैं, वे पढ़ाई के साथ पूरी तरह नहीं जुड़ पाते और फिसड्डी साबित होते हैं। ज्यादा इंटरनेट के इस्तेमाल से उन्हें अपेक्षित परिणाम नहीं मिलता और उनमें अकेलेपन की भावना घर कर जाती है।
A joint study by the University of Britain and Italy at 285 universities worldwide has concluded that students who make maximum use of digital technology are unable to fully engage with studies and prove to be laggards. Using more internet does not give them the expected result and they feel a sense of loneliness.
अध्ययन में 25 प्रतिशत छात्रों ने बताया कि उन्होंने दिनभर में 4 घंटे ऑनलाइन बिताए जबकि 70 प्रतिशत ने एक से तीन घंटे तक इंटरनेट का इस्तेमाल किया। इनमें 40 प्रतिशत छात्रों ने सोशल नेटवर्किंग का इस्तेमाल किया जबकि 30 प्रतिशत ने सूचना के लिए इसका इस्तेमाल किया।
In the study, 25 percent of the students reported that they spent 4 hours online throughout the day while 70 percent used the internet for one to three hours. Of these, 40 percent students used social networking while 30 percent used it for information.
इंटरनेट की लत से कई तरह की क्षमता प्रभावित होती है। जैसे, उत्तेजना नियंत्रण, भविष्य की योजना और शैक्षिक वातावरण में बेहतर तालमेल नहीं बना पाना आदि। इसलिए इंटरनेट की लत से प्रभावित छात्रों को पढ़ाई में ज्यादा मुश्किल नजर आई जबकि ऐसे छात्र जो इंटरनेट से दूर रहे वे ज्यादा सफल हो रहे है।
Internet addiction affects many types of ability. Such as stimulus control, future planning and not able to create better synergy in the educational environment.Therefore, students affected by Internet addiction found it more difficult to study while students who stayed away from Internet are becoming more successful.
निःसंदेह पुस्तकों को लेकर यह हताशा का माहौल हमारे पिछड़ जाने का संकेत है। और पुस्तकों से दिनोंदिन बढ़ती दूरी हमें नैतिक पतन, भौतिकवाद एवं आत्ममुग्ध आधुनिकता से ग्रस्त कर रही है। सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं साहित्यिक जैसे तमाम क्षेत्रों का ज्ञान हमें पुस्तकों से ही मिलता है।
Undoubtedly, this frustration over books is a sign of our lagging behind. And the increasing distance from books day by day is plaguing us with moral decay, materialism and complacent modernity. We get knowledge of all the fields like social, political, economic and literary from books only.
पुस्तकें हमें सच्चे कर्त्तव्य मार्ग चलने की प्रेरणा देती है जिस प्रकार सच्चा मित्र हमें जीवन के सच्चे रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करता है, उसी प्रकार पुस्तक भी हमारे व्यक्तित्व का निर्माण कर हमें जीवन जीने की कला सिखाती हैंं।
Books inspire us to walk in the path of true duty, just as true friend motivates us to follow the true path of life, similarly books also teach us the art of living by building our personality.
पुस्तकें एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ज्ञान के साथ विचारों की एक क्रमबद्धता को भी हस्तांतरित करने का सशक्त माध्यम हैं। पुस्तकों से बुद्धि का विकास का होता है तथा हम महान लोगों से चिर-परिचित होकर उनके पदचिन्हों पर चलने की प्रेरणा लेते हैं।
This is why books are a powerful means of transferring a hierarchy of ideas from one generation to another with knowledge. Wisdom is developed by books and we get inspired to follow the footsteps of great people by getting acquainted with them.
दरअसल, पुस्तकें हमारी सोच बनाने व बदलने का माद्दा रखती है। पुस्तकें हमें अतीत, वर्तमान और भविष्य तीनों काल की जानकारी देती है। पुस्तकें मनुष्य की सच्ची मित्र हैं जो प्रत्येक परिस्थिति में बखूबी साथ निभाती है। एक अच्छी पुस्तक हमें सफलता के शिखर तक पहुंचा सकती है।
Actually, books have the potential to create and change our thinking. Books give us information about past, present and future tenses. Books are true friends of human beings who play well in every situation. A good book can lead us to the pinnacle of success.
अतः आवश्यक है कि हम पुस्तकों के पठन-पाठन की परंपरा को बरकरार रखें। मोबाइल, टीवी और कंप्यूटर पर समय व्यतीत करने के बजाय उसका उपयोग पुस्तकों से ज्ञान अर्जित करने में करें।
Therefore, it is necessary that we maintain the tradition of reading books. Instead of spending time on mobile, TV and computer, use it to gain knowledge from books.
इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि आज के दौर में पुस्तकों की कीमत में काफी वृद्धि हुई है। अब रियायती दरों पर मिलनी मुश्किल है। बढ़ती महंगाई से पुस्तकों का सुनहरा संसार भी अछूता नहीं है। बजट से बाहर होती पुस्तकें न पढ़ने के लिए उत्तरदायित्व है।
It cannot be denied that the price of books has increased considerably in today's times. Now it is difficult to get at discounted rates. The golden world of books is also not untouched by rising inflation. It is the responsibility to not read books that are out of the budget.
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