आईये मिलकर दीया जलाये।Let's light a lamp together.
सकरात्मक सोच मनुष्य के जीवन को ऊर्जा से भर देती है। यह सोच व्यक्ति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हमारी सकारात्मक सोच नई आशा, उत्साह और उमंग को जन्म देकर उम्मीद का रास्ता दिखाती है।
Positive thinking fill human life with energy. This thinking plays an important role in the development of the person. Our positive thinking gives way to hope by giving birth to new hope, enthusiasm and enthusiasm.
"उम्मीद पर दुनिया कायम है, और मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती है।" हम सबने कभी न कभी यह वाक्य पुस्तकों में पढ़ी या अभिभावकों तथा अपने शिक्षकों से अवश्य सुनी है। वर्तमान समय में मानव-जाति पर मुश्किलों का पहाड़ टूट पड़ा है। समस्या ने एक महामारी का रूप धारण कर लिया है।
"The world rests on hope, and those who work are never defeated." We all have read this sentence in books at some time or have heard it from parents and our teachers. In present times, a mountain of difficulties has broken over mankind. The problem has taken the form of an epidemic.
विश्वभर में कोरोना वायरस से लगभग 12 लाख की जनसंख्या संक्रमित हो चुकी है। वहीं मरने वालों की संख्या लगभग 60 हजार तक पहुँच गई है तथा 2 लाख 28 हजार से अधिक लोग स्वस्थ भी हुए है। विश्व के वे देश सबसे ज्यादा प्रभावित हुए है जो सर्वाधिक विकसित माने जाते है, यहां की स्वास्थ्य सेवा की व्यवस्था अन्य सभी देशों से बेहतर है।
Around 12 lakh population has been infected with the corona virus worldwide. At the same time the death toll has reached about 60 thousand and more than 2 lakh 28 thousand people have also become healthy. The countries of the world are the most affected, which are considered to be the most developed, the health care system here is better than all other countries.
जबकि भारत की स्वास्थ्य सेवा इन देशों के मुकाबले बहुत पीछे है, साथ ही साथ यहां की जनता भी अपने स्वास्थ्य के लिए जागरूक नहीं है। इन सब कमियों के बाद भी में कोरोना वायरस के कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 3 हजार के ऊपर पहुंच गई है, 100 से ज्यादा ठीक हो चुके है लेकिन दुखद बात यह है कि 60 लोगों की इस मामले में मृत्यु भी हो चुकी है।
While India's healthcare is far behind that of these countries, the people here are not aware of their health. Even after all these shortcomings, the total number of infected patients of Corona virus has reached above 3 thousand, more than 100 have been cured but the sad part is that 60 people have died in this case.
अब हमें इस बात पर विचार करना चाहिए कि 130 करोड़ को कैसे बचाया जा सकता है। उसका एक मात्र रास्ता है, सामाजिक दूरी और बचाव है। जिसका हम भारतीयों ने एक साथ मिलकर उत्साह के साथ प्रयास भी किया है।
Now we should consider how 130 crores can be saved. It has only one way, social distance and rescue. Which we Indians have tried together with enthusiasm.
इसलिए हमें दो बातो पर विशेष ध्यान देना होगा। पहले तो हमें उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना है। दूसरा यह की संकल्प के साथ हमें सामाजिक दूरी बनाने के साथ-साथ सरकार के द्वारा निर्देशों का अक्षरश पालन करना होगा।
Therefore, we have to pay special attention to two things. First, we do not have to give up hope. Secondly, with the resolution, we have to follow the instructions by the government in addition to creating social distance.
हमें उन सभी लोगों को धन्यवाद देना चाहिए, जो लोग इस मुश्किल की घड़ी में उन मरीजों की सेवा करने के लिए अपना जीवन सकंट में डाल रहे है। इनमें डॉक्टर, नर्स, पुलिस, बैंककर्मी, सफाई कर्मी आदि सभी लोग जो किसी न किसी रूप में जन-जीवन को प्रभावित होने वाले वस्तुओं को सुलभता से उपलब्ध करा रहे है क्योंकि आप सुरक्षित अपने घरों में रह सकें।
We should thank all those people, who are putting their lives in a position to serve those patients in this difficult time. These include doctors, nurses, police, bankers, sweepers, etc., who are providing access to things that affect public life in one way or the other because you can stay safely in your homes.
यह हमें ध्यान देना चाहिए कि हम अपने घर पर रहते हुए भी उन सेवाकर्मियों का उत्साह किसी प्रकार बढ़ा सकते है। इसी सेवा भाव को उत्साहित करने के उद्देश्य से भारत के रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 अटल बिहारी वाजपेयी जी कहा था कि-
It should be noted that we can somehow increase the enthusiasm of those service workers even while staying at our home. For the purpose of encouraging this service, former Prime Minister of India, Late Atal Bihari Vajpayee Ji had said that-
"मेरी कविता जंग का एलान है, पराजय की प्रस्तावना नहीं। वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य-निनाद नहीं, जूझते योद्धा का जय-संकल्प है। वह निराशा स्वर नहीं, आत्म-विश्वास का जय-घोष है।"
"My poem is a declaration of war, not a prelude to defeat. It is not a despair of a fallen soldier, a jubilation of a battling warrior. He is not a voice of despair, but a jubilation of self-confidence."
एक ओजस्वी कवि के रूप वे कहते है-
"आओ फिर से दिया जलाएँभरी दुपहरी में अंधियारासूरज परछाई से हाराअंतरतम का नेह निचोड़ें-बुझी हुई बाती सुलगाएँ।आओ फिर से दिया जलाएँहम पड़ाव को समझे मंज़िललक्ष्य हुआ आंखों से ओझलवतर्मान के मोहजाल में-आने वाला कल न भुलाएँ।आओ फिर से दिया जलाएँ।आहुति बाकी यज्ञ अधूराअपनों के विघ्नों ने घेराअंतिम जय का वज़्र बनाने-नव दधीचि हड्डियां गलाएँ।आओ फिर से दिया जलाएँ"
पद्म भूषण से सम्मानित कवि स्व0 गोपालदास 'नीरज' जी
द्वारा रचित कविता देश और विश्व को प्रेरित करती है कि मानव जाति पर आया यह अंधकार रूपी कोरोना वायरस से हम सभी लोग मिलकर लड़ेंगे और जीतेंगे।
A poem composed by Padma Bhushan-awarded poet late Gopaldas 'Neeraj' ji inspires the nation and the world that all of us will fight and win this coronary virus that has come upon mankind.
नीरज जी कहते है कि
"जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतनाअँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।नई ज्योति के धर नए पंख झिलमिल,उड़े मर्त्य मिट्टी गगन स्वर्ग छू ले,लगे रोशनी की झड़ी झूम ऐसी,निशा की गली में तिमिर राह भूले,खुले मुक्ति का वह किरण द्वार जगमग,ऊषा जा न पाए, निशा आ ना पाएजलाओ दिए पर रहे ध्यान इतनाअँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।सृजन है अधूरा अगर विश्व भर में,कहीं भी किसी द्वार पर है उदासी,मनुजता नहीं पूर्ण तब तक बनेगी,कि जब तक लहू के लिए भूमि प्यासी,चलेगा सदा नाश का खेल यूँ ही,भले ही दिवाली यहाँ रोज आएजलाओ दिए पर रहे ध्यान इतनाअँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।मगर दीप की दीप्ति से सिर्फ जग में,नहीं मिट सका है धरा का अँधेरा,उतर क्यों न आयें नखत सब नयन के,नहीं कर सकेंगे ह्रदय में उजेरा,कटेंगे तभी यह अँधरे घिरे अब,स्वयं धर मनुज दीप का रूप आएजलाओ दिए पर रहे ध्यान इतनाअँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।"
हम सभी को अपनी संवेदना उन सभी के प्रति समर्पित करने का यह सही समय है, जब विश्व के 199 देश की मानवता एक भय के वातावरण में जीने के लिए विवश हो गई है। हम सभी अपने खुद के जीवन में उत्साह को बनाए रखने के साथ साथ विश्व की मानव जाति में भी एक उत्साह भरने के लिए दीपक जलाये।
This is the right time for all of us to dedicate our condolences to them, when the humanity of the 199 countries of the world has been forced to live in an environment of fear. All of us light a lamp to maintain enthusiasm in our own lives as well as to fill a spirit in the human race of the world.
"आओ फिर से दीया जलाये।"
Comments
Post a Comment